कुछ सपने थे जो टूट गए, कुछ अपने थे जो छूट गए, पहले तो कुछ ना आभास था, यह भी होगा, ना विश्वास था, पर होनी तो होकर गुजरी, सब सगे स्नेह से लूट गए, कुछ सपने थे जो टूट… Read More

कुछ सपने थे जो टूट गए, कुछ अपने थे जो छूट गए, पहले तो कुछ ना आभास था, यह भी होगा, ना विश्वास था, पर होनी तो होकर गुजरी, सब सगे स्नेह से लूट गए, कुछ सपने थे जो टूट… Read More
आँखे झूठी, बातें झूठी, चेहरा सारा झूठा है, बाहर अंदर सारा झूठा, ईमां ही तेरा झूठा है । इस चेहरे के उपर न जाने, और भी कितनी कालिमाई है, कपट की लहरें तेरे भीतर, ना जाने कितनी गहराई हैं ।… Read More
सोने ने पुछा एक दिन लोहे से, तू चोट लगने पर इतना चिल्लाता क्यूं है? जबकि सुनार मुझे भी तो, हतौडे से ही चोट मारता है । इतना सुनना था कि लोहे का मुख मलीन हो गया, मामला अत्यंत संगीन… Read More
इस विदाई की बेला मे, कहता हूँ उपस्थित सभी से, करने की ईश्वर से प्रार्थना, करने की जीवन में कुछ ऐसा, जो कल्याणकारी और आदर्श हो सबका, करें आज हम समय से यही कामना, लेकर माता – पिता और गुरु… Read More
सेज सुहाग पर, सुहाग के लाल जोड़े में, मेंहंदी तेरे नाम की रचाये, शर्म की घुंघट ओढ़े, बैठी थी तेरे इंतजार में, तुम जो धीरे से आये, इस चाँद से मुखड़े को, पास बैठ लेकर हांथों में, मुसकुराये, घुंघट उठाये,… Read More
हे मेरे परम पूजनीय बाप ! आखिर कब तक वानप्रस्थ लेंगे आप ? यदि अभी आप सन्यास ले लेते, बेटे पर अपने उपकार तो कर जाते | खांस-खांस कर शोर मचाते और, नकली दांत कटकता रहें हैं | रीटायर होने… Read More
प्रेम एक एहसास है | प्रेम, मेरी धड़कन, मेरी हर श्वाँस है | क्या है यह एहसास ? वो ख्या बता पायेगा ? जो इसका अर्थ हीं ना जान पाया, और बनाता है काम-आसक्ती से इसका मजाक | प्रेम- एक… Read More
रौनक भरी उनकी इस महफ़िल में, उनके लिए मेरा मन क्यों उदास है? खड़ें हैं सामने उनके सभी भीड़ में, नहीं वो क्यों मेरे पास हैं? चारों ओर शोर ठहाका नजारों में, पर होंठ क्यों मेरे चुपचाप हैं? सभी व्यस्त… Read More
रात भर सपनों में खुशहाल संसार देखा, सुबह हुई तो काँच सा बिखरा हुआ मंजर देखा, चहुं ओर चिल्लाती चिखती खामोशी दिखी, वही काँपती हाथ और वही बिफरा मजदूर दिखा | चाहता है ‘मनोहर’ भी, हर मजदूर का लेखा बदलना,… Read More
प्यास बुझाये अरमानों की जो, जी लें हम एक क्षण वो, क्यों ज़िन्दगी का वह एक क्षण नहीं मिलता ? तन का मिलना भी क्या मिलना, जो मन से समर्पन नहीं मिलता, क्यों ज़िन्दगी में वह प्रेम का क्षण नहीं… Read More