life(1)

जीवन मूल्यों परस्पर भावनाओं और उसकी परिस्थिभूमि परिणाम का सजीव चित्रण कहानी का सशक्त पक्ष है एकाकी प्रज्ञा देवी का
पति के तस्वीर से वार्तालाब और सम्पूर्ण जीवन के लम्हों को दमन में समेटे रख उसे ही जीवन का आधार स्वीकार करना मानवीय
संबंधों कि पराकाष्ठा के प्रेम धर्म कर्म का मार्मिक बेजोड़ प्रस्तुति है विद्यालय कि बात विवाद प्रतियागिता में नारी के सम्बन्ध में प्रवीण
के विचारों से प्रभावित प्रज्ञा बात विवाद प्रतियोगिता कि विजेता होना उसके नारी मन मस्तिस्क को वास्तविक विजेता को खोजने
और प्रमाणित करने के लिये संकल्पित कर देता है —-::सच सच कहूँ यह मुश्किल प्रतियोविता मैंने नहीं तुमने जीती  है मेरी विजय को
तुमने अपनी चाहत और शक्ति के द्वारा अवषयसभावी बना दिया था:: प्रज्ञा कि भावनाए नारी कि श्रेष्ठतम मनोविज्ञान कि प्रमाणिकता
प्रासंगिगता है जिसकी सम्पूर्णता है प्रवीण और प्रज्ञा का वैवाहिक बंधन स्वीकार कर एकात्म हो जाना सृष्टि के अर्धनारीश्वर कि सत्यता
और ब्रह्माण्ड के उदभव में मनु सतुरुपा कि यथार्थता को प्रमाणित करता पुरुष और नारी कि एकात्म सृष्टि संप्रभुता को परिभाषित
करता है ।एक आदर्श जीवन संगिनि की तरह प्रज्ञा का सपूर्ण जीवन प्रवीण के कदम से कदम मिला कर चलने का संकल्प वर्तमान
समाज में छोटी छोटी बातों पर संबंधो के विखराव को चुनौती देता एक सम्बंधों में संयम समन्वय का सन्देश देता है।
एक बहु के रूप में प्रवीण के पिता  कि देख रेख सेवा अपने ही पिता कि तरह प्रज्ञा द्वारा किया  जाना समाज को बेटी बहु के संबंधो को
सामाजिक मूल्यों के रूप में शिक्षा देता है।अक्षय और अक्षत कि परिवरिश और उच्च शिक्षा दीक्षा माता पिता के कर्तव्यों और इस कर्तव्य
निर्वहन में  उनके निहित त्याग और भावनाओं और उम्मीदों की प्रसगिगता है। अक्षय और अक्षत द्वारा नौकरी पा लने और विवाह के
बाद उनके द्वारा माता पिता प्रज्ञा और प्रवीण के साथ व्यवहार तेजी स्वार्थी होते आधुनिक समाज का बेबाक चित्रण और वास्विकता
है।प्रज्ञा और प्रवीण ने माता पिता होने के नाते अपने पुत्रो के लिये जिन कर्तव्यों दायित्वों का पालन किया था बेटों ने उन मूल्यों
मर्यादाओं को ध्वस्त कर दिया महज़ महँगी कार कि जिद्द के आगे मजबूर पिता अपने जीवन कि सम्पूर्ण पूंजी लगाकर अपनी परवाह न
करते हुये लगा कर कार खरीद कर गिफ्ट कर देता है।
प्रवीण पिता का साथ छुटने और बेटों के संस्कृति संस्कार में परिवर्तन और स्वार्थी और मूल्यों का ह्रास और पुत्रों के व्यवहार में
परिवर्तन का काफी प्रभाव पड़ता है और सामाजिक संस्कृतियों के परिवर्तन से उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
अपने जीवन भर कि पूंजी का लगभग तीन चौथाई भाग बच्चों के जिद्द पर महँगी कार देने में व्यय होना बहुओं का प्रसव हेतु अपने
पीहर चले जाना और प्रवीण का साथ छुटने के बाद बच्चों द्वारा प्रवीण और प्रज्ञा के प्यार के उपलब्धि मकान को बेचने कि बात कह

अक्षत अक्षय और उनकी पत्नियो ने माँ बाप जैसे सामजिक संस्था जो नई पीढ़ियों के विकास के लिए जिम्मेदार  होती है का विश्वास
तोड़ देती है  जो सामाजिक।मूल्यों के गिरते नविन समाज का संभव संकेत देता है ।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *