“देश को जिसने हमें सौंपकर
बदले में सिर्फ मौत पाई
कैसे न करें हम उन्हें याद,
मौका परस्त कहलाएगा
गर आज उनकी याद न आई।।”
आज पुलवामा अटैक को 2 वर्ष पूरे हो गए , जिसमे हमारे देश के कई सैनिक शहीद हुए। कैसे मनाए हम इस प्रेम दिवस को जिस दिन हमारे कई सैनिक शहीद हो गए हैं।
कितनी स्त्रियों के माथे का सिंदूर मिट गया था। कितनों के घर बिखर गए थे। आज उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
हमें क्या पता था, यह बेचैनियां हमें हमारे देश में छाने वाले काले बादलों का संकेत दे रही थी, हम नहीं जानते थे यह प्रकृति भी हम पहले से अवगत करा रही थी। शायद इसलिए ही प्रकृति में एक उदासी सी छाई हुई थी। वक़्त के साथ पुलवामा हादसे के आंसू सुख जाए पर हमारे दिल का दर्द कम नहीं होना चाहिए।
हमारा भी अब एक कर्तव्य है , कि हम सब अब इस देश में प्रेम और स हृदय ता का वातावरण बनाए जिनके लिए उन्होंने बलिदान दिया है। आज हम हर दिन देखते हैं। हिंसा, चोरी , दुष्कर्म , धोखाधड़ी की खबरें देख – देख कर थक रहे हैं।
“चैन ओ अमन का देश है हमारा,
इस देश में दंगा रहने दो,
लाल हरे में मत बांटो,
इसे शान ए तिरंगा रहने दो।”
हमारे शहीदों के बलिदान को ऐसे नहीं जाने देंगे। उन्होंने देश की रक्षा के लिए हस्ते – हस्ते बलिदान दिया है। यही दर्द हमें याद दिलाएगा हमारे शहीदों की, और वही हमें हिम्मत देगा आगे बढ़कर लड़ने की।
हमारे देश के सैनिकों ने हमारी भारत माता के आंचल को सुरक्षित संजोए रखते हुए , भारत माता की गोद में सो गए।
“इतनी सी बात हवाओं को बनाए रखना
रोशनी होगी।(2)
चिरागो को जलाए रखना
लहू देकर की है जिसकी हिफाजत हमने
ऐसे तिरंगे को हमेशा दिल में बसाए रखना।”
वह तो हस्ते – हस्ते अपना बलिदान कर गए। हमारी सुरक्षा हमारी खुशी के लिए।
“हर रोज जिनकी वजह से अपनों को
याद करना मुकम्मल हो पाया है,
आज उनको याद करने का दिन आया है।”
एक कविता के माध्यम से में अपने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।
सुबह से ही बेचैनियों का जैसे सैलाब चढ़ा हो।
सर्द हवा ने भी जैसे उदासी की चादर ओढ़ी हो।।
यूं कहने को तो प्यार का दिवस था।(2)
पर न जाने क्यों यह जीएम का दिवस था।
प्रकृति में भी एक उदासी छाई थी
शायद मेरे देश में काले बादल छाने की परछाई थी।।
जब चारो तरफ गम के बादल छाए थे।(2)
नमन है मेरा उन शहीदों को,
जो तिरंगा ओढ़ कर आए थे।।
जो देह का अमरत्व देकर
इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी बन गए।।
कोटि – कोटि नमन उन शहीदों को
जिन्होंने अपनी जान गवाई।।
याद रखेगा यह देश (2)
तुम्हारे इस पावन तप को।
हे वीर तुम्हें नमन है,
जो हस्ते – हस्ते अपना बलिदान कर गए।।
वक़्त के साथ सुख जाए पुलवामा के आंसू , (2)
पर कभी हमारे दिलो का दर्द कम नहीं हो पाएगा।।