ऐ हवा ले चल कहि,
इस शोर से दूर कहि!!
कड़वा है हर लहज़ा यहाँ,
जहां हो मिठास कहि!!
है यहाँ आपसी मतभेद,
ना हो जहाँ बैर कहि!!
ऐ हवा ले चल कहि,
इस शोर से दूर कहि!!
हर जगह देखो भीड़ है,
है क्या रास्ता सुनसान कहि!!
जहाँ हो ना तीसरा कोई,
सुनेंगे जीवन की दास्तां कहि!!
ऐ हवा ले चल कहि,
इस शोर से दूर कहि!!
खुला आसमां हो जहाँ,
वहाँ दे तू आसरा कहि!!
है अनुज मजाक शायद,
कहेंगे फिर पहेली कहि!!
ऐ हवा ले चल कहि,
इस शोर से दूर कहि!!