ayodhya ram mandir bhumi poojan

जन्मभूमि मम पुरी सुहावनि उत्तर दिसि बह सरजू पावनि।
जा मज्जन ते बिनहिं प्रयासा मम समीप नर पावहिं बासा।।

ऐतिहासिक होगा। कल का दिन। इस राष्ट्र के इतिहास में प्रभु श्री राम। हिन्दू धर्म के आधार स्तंभ हैं। कितने वर्षों की तपस्या के बाद यह राष्ट्र साक्षी बनेगा उस पल का भगवान राम भी तो चौदह वर्ष में ही अयोध्या आ गए थे लेकिन हमने भी तो लाया अपने राम को सच में ऐतिहासिक दिन है कल। यह किसी जाति धर्म और संप्रदाय का नहीं जनमानस की भावनाओं के साक्षात होने का दिन है निश्चित रूप से यह दिन बहुत सौभाग्य से आया है स्वागत करेंगे हम अपने राम का प्रभु श्री राम का तुलसी के राम का सबके राम का।

कितना अद्भुत होगा वह क्षण जब भावना साकार रूप लेगी। दसों दिशाओं में जय श्री राम का उद्घोष होगा। सभी देवता पिशाच गंधर्व किन्नर चर चराचर सभी उस पल के लिए टकटकी लगाए होंगे। यह पल हृदय की वेदना को शांत करेगा। वर्षों की आह को विराम देगा जय घोष में हमारे सब इंतजार की वेदना। कसक टीस शांतहो जाएगी एक और बात जितने भी तर्क होंगे न वह सब कर लेना हर प्रश्न का उत्तर हम जरूर देंगे लेकिन कल के बाद, सच में लगता है ऐसा कार्य कोई योगी जी कर सकता है। आज न जाने कितने श्रम और साधना को आकार मिलने जा रहा है। आज प्रभु श्री राम को भी आधार मिलने जा रहा है। न जाने कितने व्रत – उपवास, तपस्या, अनुष्ठान, जप, हवन का फल मिलने जा रहा है आज श्री राम का जनता के बीच। प्रसाद मिलने जा रहा है।

एक रक्तिम इतिहास को भी आज विराम मिलने जा रहा है। भारतीय संस्कृति और संस्कार में प्रभु श्री राम जीवंत होने जा रहे हैं। सूक्ष्म से स्थूल की ओर प्रस्थान होने जा रहा है। एक नया इतिहास सृजित होने जा रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी जी। राष्ट्र के इतिहास पुरुष में अमर होने जा रहे हैं। आज हनुमान जी भी ऊपर से नहीं। प्रभु श्री राम के साथ होने जा रहे हैं। जो बस कल्पना था। अब वो यथार्थ होने जा रहा रहा है। प्रभु श्री राम को स्थान मिलने जा रहा है। आइए हम सब दिल खोल के स्वागत करें। अपने उसी श्री राम का जिनके लिए अंखियां पथरा गई थी उसी श्री राम।

वेद पुराण स्मृतियां सब आज उनका गुण स्मरण कर रही हैं कबीर सुर तुलसी जायसी यह सबके राम है। विश्व मानव सभ्यता के आदर्श पुरुष श्री राम । एक ऐसा चरित्र फिर जीवंत हो उठेगा। जिसमें आदर्श की सर्वोच्चता होगी। नैतिकता की पराकाष्ठा होगी और । विश्व बंधुत्व की भावना होगी । हमारा पुर्ण्य स्मरण उन्हें फिर से। हमारे हृदय में स्थापित करेगा।और यह संदेश भी जीवंत हो उठेगा

“होइहै सोइ जो राम रचि राखा”

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