happy sunday

हर दिन होता रोता धोता ।
सुनो अगर इतवार न होता॥

जीवन इक ढर्रे पर चलता।
फुर्सत वाला समय न मिलता॥
देती नींद हमें उलाहने।
ताने देते हमको सपने॥
बैड टी अख़बार का नाता।
कभी नहीं पुख़्ता हो पाता॥
अनमने सा बड़ों का जीवन।
मुरझाया सा होता बचपन॥
बोझिल तन, नीरस मन रोता।
सुनो अगर इतवार न होता॥

मिलना जुलना कम ही करते।
रिश्ते नही फूलते फलते॥
गप्पे शप्पे गुम सुम होते।
हँसी ठहाके बैठे रोते॥
अधिक प्यार मनुहार न होता।
सुनो अगर इतवार न होता॥

सैर सपाटा सब रुक जाते।
देख नहीं हम दुनिया पाते॥
होटल का भी धंधा मंदा।
चौपाटी न घूमता बंदा॥
एम्यूज़मेंट पार्क न जाते।
कभी सिनेमा देख न पाते॥
मौज भरा संसार न होता।
सुनो अगर इतवार न होता॥

किट्टी पार्टियों सब रुक जाती ।
कैसे सखियां मन बहलाती ॥
पतिदेव रविवार को घर पर।
घर से निकली हम सज धज कर॥
बच्चों को डैडी देखेंगे।
घर के भी कुछ काम करेंगे॥
सहेलियों का वार न होता।
सुनो अगर इतवार न होता॥

कुछ ऐसी रविवार शाम है।
यारों के वो रही नाम है॥
जाम जाम से हम टकराएँ ।
दिल दिमाग दोनों खुल जाए।।
धमाचौकड़ी गायें झूमें।
यादों के गलियारे घूमें॥
दोस्त दोस्त में प्यार न होता ।
सुनो अगर इतवार न होता॥

सब्जी लाना, राशन लाना।
रुके काम घर के निपटाना॥
दोपहर की नींद है प्यारी।
हफ्ते भर की थकन उतारी॥
बच्चों को बाहर ले जाना।
शॉपिंग और बाहर खाना॥
खुश इतना परिवार न होता।
सुनो अगर इतवार न होता॥

हर दिन होता रोता धोता ।
सुनो अगर इतवार न होता।।

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