किताबो में पढ़ कर,
रेडियो में सुन कर।
कहानीयां मोहब्बत की,
बड़े बूढ़ो से सुनकर।
मोहब्बत करने का मन,
दिल में पनापने लगा।
और लगा बैठे दिल अपने,
पड़ोसी की लड़की से।।
अब न दिल धड़कता है,
न सांसे ही चलती है।
ये कमवक्त मोहब्बत भी,
क्या बला होती है।
जो न जीने देती है,
न ही मरने देती है।
हँसते हुये इन्सान को,
देव दास बना देती है।।
मोहब्बत के चक्कर में,
न जाने कितने लूट गये।
और कितने तो खुदा को,
पहले ही प्यारे हो गये।
जिसे मिल गई मोहब्बत,
वो आबाद हो गया।
नहीं तो जिंदा एक,
लाश बनके रह गये।।
किसी को इसने पागल,
बना कर छोड़ दिया।
तो किसी को घयाल करके,
बीच मजधार में छोड़ दिया।
इसलिए अब मोहब्बत के,
नाम से लोग घबराते है।
न खुद करते है और,
न किसीको सलाह देते है।।
बस कहते है की अपनी
राह पर ही चलते रहिये।
ये आपको जीने देंगी
और हँसने भी देगी।
और जीवन को जीने
की नई ऊर्जा देगी।
इसलिए अपने सोचे समझे
और फिर अपनी राह चुने।।