मार्च में महामारी से जूझने के बाद सभी के लिए अप्रैल का महीना काफी उम्मीदों भरा था क्योंकि 14 अप्रैल को लॉकडाउन खत्म होने की आशंका जताई जा रही थी और चरमराती हुई अर्थव्यवस्था भी अपनी अंतिम साँसे गिन रही थी, लेकिन संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ते जाने के कारण आखिरकार फैसला सुनाया गया कि लॉकडाउन को अब 3 मई तक बढ़ा दिया गया है, ये सुनते ही लोगों की परेशानी और बढ़ गई लेकिन हालातों को नियंत्रित करने हेतु सरकार ने कुछ छूट भी प्रदान किए, जो कि ज़रूरी भी थे, साथ ही साथ देश के विभिन्न इलाकों को रेड, ऑरेंज व ग्रीन ज़ोन में संक्रमितों की संख्या के हिसाब से बांट दिया गया।
इसी बीच राजनीति का खेल ना खेल पाने वालों के दिल में आग सी लग गयी क्योंकि लगभग सभी फैसले जनता के हित में किए गए थे लिहाज़ा उन्हें विरोध करने लायक कोई मुद्दा नही मिला जिस कारण उन लोगों ने अफ़वाह का सहारा लेते हुए जनता के कंधे पर बंदूक रखकर चलाना चाहा और लॉकडाउन तोड़ने का प्रयास खुद जनता से करवाया जिसके परिणामस्वरूप महाराष्ट्र के बांद्रा रेलवे स्टेशन में लाखों की तादाद में भीड़ उमड़ पड़ी लेकिन गौर करने वाली बात ये रही की इस भीड़ में केवल पुरुष ही देखे गए और वो भी खाली हाथ, जिस कारण शक भी हुआ कि ये भीड़ आई नहीं है बल्कि इस भीड़ को भेजा गया है। इसके अलावा भी कई राजनैतिक गतिविदियाँ जारी रही, चाहे वो किसी रिपोर्टर के बयान को लेकर हो या चाहे किसी राजनेत्री के असली नाम को लेकर, इससे साफ तौर पर ज़ाहिर है कि भारत में विवादों के मुद्दे कभी भी कम नही हो सकते किंतु निरंतर बढ़ ज़रूर सकते हैं।
लॉकडाउन के पहले चरण में जो शहर सुरक्षित लग रहे थे दूसरे चरण में उन्ही शहरों की अवस्था सबसे दयनीय रही और संक्रमितों की संख्या में बढ़ोतरी का स्तर भी काफी अधिक बढ़ गया, ऐसे शहरों में देश के दो प्रमुख शहर अहमदाबाद और आगरा भी शामिल रहे।
लॉकडाउन के दौरान सुरक्षाकर्मियों एवं मेडिकल स्टाफ लगातार हिंसा का शिकार होते रहे हैं लेकिन हद तो तब पार हो गयी जब पंजाब में एक सब इंस्पेक्टर का लॉकडाउन तोड़ने वालों के द्वारा तलवार से हाथ काट दिया गया, इसके बाद प्रशासन ने लॉकडाउन तोड़ने वालों के खिलाफ कड़े आदेश जारी किए।
हालांकि देश के कई क्षेत्रों में जिनमें पश्चिम बंगाल भी शामिल है लॉकडाउन का पालन सख्ती से नहीं किया जा रहा है और संक्रमितों एवं कोविड-19 से हुई मौतों की संख्या में भी हेरफेर जारी है।
इस बीच भारत के लिए अच्छी खबर यह है कि कोविड-19 की चपेट में आए दुनिया के कई देशों की तुलना में भारत में इस संक्रमण से काफी कम लोगों की मौत हुई है, इसके कई कारण बताए जा रहे हैं लेकिन अभी तक किसी भी कारण की पुष्टि नही की गई है किन्तु आंकड़ों के अनुसार भारत में इस वक्त मौतें नौ दिनों में दोगुनी हो रही हैं। इलाज के तौर पर कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीज़ों के प्लाज्मा के इस्तेमाल की भी खबर आई लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे फिलहाल ट्रायल के तौर पर इस्तेमाल करने के निर्देश दिए, ये कोई पुख्ता इलाज तो नही लेकिन एक कोशिश के तौर पर बड़ी सफलता मानी जा सकती है।
अप्रैल माह के अंत तक धर्म के क्षेत्र में भी कुछ राहत मिली जब केदारनाथ के कपाट खोलने का निर्णय लिया गया।