rista(1)

तेरे मेरे मिलन से
बहुत लोग खुश हो रहे।
मानो जिंदगी अब मेरी
मेरे ही पास आ गई।
कर्म अच्छे किये थे
इसलिए तुम्हें पाया।
और मोरझाई जिंदगी को
फिर से खिला पाया हूँ।।

न करते प्यार मोहब्बत तुम
तो हम दोनों मिल नहीं पाते।
जिंदगी की हकीकत को
शायद हम समझ नहीं पाते।
और जीवन साथी हम दोनों
फिर बन नहीं पाते।
और हम दोनों शायद
एकाकी जीवन बिताते।।

संसारिक जीवन जीने को
कोई तो हम सफर चाहिए।
जो मिलाकर कदमो से कदम
निभाये साथ जीवन भर।
और बनकर संगनी मेरी
निभाये धर्म जो अपना।
इसे ही हम और आप
जीवन का गठ बंधन कहते।।

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