वो तो भूल गए कि उनको, बनाया किसने था
चलना पकड़ के ऊँगली, सिखाया किसने था
वो कहते हैं कि मंज़िल क़रीब है उनकी अब,
पर भूल गए कि ये रास्ता, दिखाया किसने था
होते हैं बहुत खुश जब देखते हैं हवेली अपनी,
मगर वो भूल गए कि ये घर, बनाया किसने था
कहते हैं कि जहान से टक्कर ली है अकेले ही,
मगर भूल गए कि खाइयों से, बचाया किसने था
कहते हैं वो कि अपनी टांग मत अड़ाया करिये,
भूल गए कि आफ़तों में सर, खपाया किसने था
यारो कहते हैं कि हमें कुछ भी नहीं आता जाता,
वो भूल गए कि मुंह चलाना, सिखाया किसने था
जब आये थे ‘मिश्र’ घर पे ज़माने से चोट खा कर,
भूल गए कि ज़ख्मों पे मरहम, लगाया किसने था