तुम औरें मारत रए भैंकर मार
और मार रए अबै भी
धीमें – धीमें सें
धरम, जात, करजा और कुरीतयंन में बाँधकें
अंदबिस्बास, जुमले और बेकार कानून बनाकें
पढ़ाई – लिखाई सें बंचित करकें
लूटत रए हमें
पर
अब हम जग गए हैं
अपन करम की कीमत पैचान गए हैं
अब सें हम अपनी फसल कै दाम खुद तै करहैंगे
अपनी मैनत कौ पूरौ फल चखहैंगे
तुम भी हमाए करम की कीमत पैचानो
भूँख मिटाबे बायन कौ संग देओ
नईं तो तुम भी मारे जाओगे
जलदीं
हम किसानन की बदलाओकारी किराँती में
सिरफ बचेंगे अन्न उगाबेबाय
और बदलाओकारी लोग…।।
सारी दुनिया और किसान – किसानिनन खों ‘किसान दिनाँ’ (२३ दिसंबर) की भौत – भौत बधाई