न मुझे डर लगता है
न मरने से मैं डरता हूँ।
जीने मरने का अधिकार
तो उसी के पास है।
जिसने पृथ्वी पर हमें
भेजा है कुछ करने को।
तो कैसे हम बिना करे
यहाँ से जा सकते है।।
मानव का स्वभाव होता है
भावनाओं से जुड़कर रहने का।
तभी तो वो यहाँ आ कर
बना लेता अपना घर परिवार।
और रिश्तों के बंधन में बंधकर
यहाँ वो रहने लगता है।
फिर अपने उद्देश्यों को
मिलकर पूरा करने लगता।।
इसी को हम सब लोगों
संसार जो कहते है।
जहाँ अपने और पराये
सभी मिल जुलकर रहते है।
और एक देश का निर्माण
अपने प्रयासो से करते है।
फिर दुनियाँ को दर्पण
हम ही लोग दिखाते है।।