व्यंग्य : वादा तेरा वादा

“परनिंदा जे रस ले करिहैं  निसच्य ही चमगादुर बनिहैं”  अर्थात जो  दूसरों की निंदा करेगा वो अगले जन्म में चमगादड़ बनेगा। परनिंदा का अपना सुख है,ये विटामिन है,प्रोटीन डाइट है और साहित्यकार के लिये तो प्राण वायु है। परनिंदा एक… Read More

व्यंग्य : पंडी ऑन द वे

जिस प्रकार नदियों के तट पर पंडों के बिना आपको मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती, गंगा मैया आपका आचमन और सूर्य देव आपका अर्ध्य स्वीकार नहीं कर सकते जब तक उसमें किसी पण्डे का दिशा निर्देश ना टैग हो,… Read More

व्यंग्य : मेहँदी लगा कर रखना

“मैं इसे शोहरत कहूँ, या अपनी रुस्वाई कहूँ, मुझसे पहले उस गली में, मेरे अफसाने गये” अपनी तारीफ सुनने से वंचित और और अति व्यस्त रहने  वाली नये वाले  लिटरैचर विधा की मशहूर भौजी ने खाली बैठे बैठे उकताकर अपनी … Read More

व्यंग्य : घर बैठे-बैठे

“पुल बोये से शौक से  उग आयी दीवार कैसी ये जलवायु है  हे मेरे करतार” दुनिया को जीत लेने की रफ्तार में ,चीन ने ये क्या कर डाला ,जलवायु ने सरहद की बंदिशों को धता बताते हुए सबको घुटनों पर… Read More

व्यंग्य : वर्क फ्रॉम होम

आये दिन अख़बारों में इश्तहार आते रहते हैं कि घर से काम करो ,घण्टों के हिसाब से कमाओ,डॉलर,पौंड में भुगतान प्राप्त करो।जिसे देखो फेसबुक,व्हाट्सअप पर भुगतान का स्क्रीनशॉट डाल रहा है कि इतना कमाया,उतना माल अंदर किया ।महीने भर की… Read More

व्यंग्य : अंकल कम्यूनलिज्म

“वो सादगी कुछ भी ना करे तो अदा ही लगे  वो भोलापन है कि बेबाकी भी हया ही लगे अजीब शख्स है नाराज हो के हँसता है  मैं चाहता हूँ कि वो खफा हो तो खफा ही लगे” पोस्ट ट्रुथ… Read More

व्यंग्य : कागज़ नहीं दिखाएँगे

युग के युवा,मत देख दाएं और बाएं और पीछे ,झाँक मत बगलें न अपनी आँख कर नीचे,अगर कुछ देखना है  देख अपने वे वृषभ कंधे,जिन्हें देता निमंत्रण सामने तेरे पड़ा, युग का जुआ “ युग का जुआ युवाओं को अपने… Read More

व्यंग्य : मेरा वो मतलब नहीं था

“जामे जितनी बुद्धि है,तितनो देत बताय वाको बुरा ना मानिए,और कहाँ से लाय” देश में धरना -प्रदर्शन से विचलित ,और अपनी उदासीन टीआरपी से खिन्न फिल्म इंडस्ट्री के कुछ अति उत्साही लोगों ने सोचा कि तीन घण्टे की फिल्म में… Read More

व्यंग्य : लोग सड़क पर हैं

“नानक नन्हे बने रहो,  जैसे नन्ही दूब बड़े बड़े बही जात हैं  दूब खूब की खूब” श्री गुरुनानक देव जी की ये बात मनुष्यता को आइना दिखाने के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। ननकाना साहब में जिस तरह गुरूद्वारे को घेर… Read More

व्यंग्य : डर दा मामला है

“सबसे विकट आत्मविश्वास मूर्खता का होता है, हमें एक उम्र से मालूम है – हरिशंकर परसाई”। फिल्मों की “द फैक्ट्री “चलाने वाले निर्देशक राम गोपाल वर्मा महोदय ने डर के लेकर दिलचस्प प्रयोग किये।वो अपनी किसी फेम फिल्म में डर… Read More