भाषा संवाद से संस्कृति का महासागर है : प्रो. स्वाति पाल

जानकी देवी मेमोरियल महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय की राजभाषा कार्यान्वयन समिति और केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : भाषायी प्रावधान” था। संगोष्ठी में… Read More

मित्रता की परिभाषा : श्री कृष्ण और सुदामा

हिंदी दिवस के अवसर पर प्रस्तुत करते हैं ‘गीतिनाट्य’ मित्रता की परिभाषा : श्री कृष्ण और सुदामा (पात्र : कृष्णा, आदर्श, किशन, रोहित, फैज़ान एवं मोहित) (ध्वनि संपादन : राज, यश) परिकल्पना एवं निर्देशन : श्री आशुतोष श्रीवास्तव  +260

लेख : हिंदी को किससे लाभ और किससे नुकसान?

हिंदी को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जन-जन में लोकप्रिय बनाने में वर्तमान दौर के हिंदी में लाइब्रेरी संस्करण किताबें लिखने वाले लेखकों और सरकारी प्रयासों का कोई योगदान नहीं है। इन्होंने हिंदी दिवस अभियान का केवल निजी लाभ उठाया है। हिंदी… Read More

लेख : हिंदी राष्ट्रभाषा कब तक?

राष्ट्रभाषा, किसी संप्रभु राष्ट्र केअस्मिता,एकता,अभिव्यक्ति एवं संस्कृति की पहचान होती है। सुदृढ़ तथाअखंड भारत कीकल्पना राष्ट्रभाषा हिन्दी के बिना नहीं की जा सकती। भारत की संविधान सभा ने 14 सितम्बर 1949 को सम्पूर्ण राष्ट्र के लिये हिन्दी की व्यापक स्वीकार्यता,… Read More

लेख : विश्व भाषा के रूप में हिंदी के बढ़ते कदम

एक हिंदी शिक्षक के रूप में मैं यह अनुभव करती हूँ कि हिंदी अब केवल भारत की भाषा नहीं रही, बल्कि यह धीरे-धीरे विश्व भाषा बनने की ओर अग्रसर है। भाषा किसी समाज की आत्मा होती है, और जब वह… Read More

कविता : हिंदी है भारत की पहचान

हिंदी है भारत की पहचान, इससे बढ़ती अपनी शान। मातृभाषा का मान बढ़ाएँ, हिंदी को हम अपनाएँ। सरल, मीठी, सच्ची भाषा, सबको करती पास पासा। दिल से दिल का तार मिलाए, हिंदी का सम्मान बढ़ाए। पढ़ो लिखो और बोलो हिंदी,… Read More

लेख : हिंदी की प्रासंगिकता

हिंदी हमारे जीवन की वह भाषा है, जिसमें हम अपने घर की चौखट से लेकर बड़े-बड़े मंचों तक सहजता से संवाद करते हैं। यह केवल बोलचाल की भाषा नहीं, बल्कि हमारे संस्कारों और संस्कृति की धड़कन है।आज हम देखते हैं… Read More

कविता : हिंदी करती निवेदन सबसे

मैं हिंदी हूँ महोदय, मुझे विश्व में जाना जाता है, दुनिया में तीसरे स्थान पर, मुझे ही बोला जाता है। संविधान में राजभाषा का, दर्जा भी दिया जाता है, 14 सितंबर को, दिवस भी मनाया जाता है। राजकाज की भाषा… Read More

पुस्तक समीक्षा : पत्रकारिता में प्रतिक्रिया : एक पाठक की कलम से

पत्रकारिता में प्रतिक्रिया : एक पाठक की कलम से” में समाज चेतना के विविध प्रसंग साहित्य समाज का दर्पण इसलिए है, क्योंकि समाज की वास्तविक स्थिति को विभिन्न माध्यमों से साहित्य ही सार्वजनिक करता है। साहित्य को समाज परिवर्तन का एक… Read More

पुस्तक समीक्षा : पृथ्वी घूम रही है

“पृथ्वी घूम रही है, कहानी संग्रह में जीवन के संघर्ष” प्राचीन समय में भी मौखिक रूप से कथा कहानियों की परंपरा रही है। ज्यादातर कहानियों लोक कथाओं का विशेष महत्व रहा है। समकालीन हिंदी कहानी में भी समाज की विडंबनाएं,… Read More