bagheli

ठकुरन का ठाकुराइसी लाइगय,
बम्हनन का बमनाइत
आ खाय का उनके पुजय न,
पै लड़का करै न कमाइत।

मुर्गा बोकरा नशा शराब
बम्हनन का लालचामय।
आ कोऊ उन्है जो या कही देय
ता गारी ख़ुद का ख़बामय।।

पूजा पाठ जनेऊ माला मा,
उनकर मन न लागय।
आ बात सोच ता उन कर अब
सबके आंगे लजबाबय।।

ठकुरन के ता बातय अलग ही
उन्है और गिरबाबय।
खात पियत परे रोड मा
खुदय का गारी देबामय।।

उनकर लड़का बने राजा सब
मोटर गाड़ी चलमय।
आ बेच जमीन ब्याज मा खाय
चार जने का लए रोड मा राजा साहब कहामय।।

अइसन जो चलतय रही ता
बची कुछु ना कोहू केर
अभू जो इं सुधरिन न तो,
मिली इन्हीं न रोटी सेर।।

अब दिन उई तो आइन गे हे
थोड़ी तो सुधार करी
दुनियां के इतिहास मा फेर से
पहिले जैसा नाम करी।।।

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