आदमी मिट्टी का पुतला है और जो चीज मिट्टी से बनती है वह मिट्टी में ही मिल जाती है किंतु इस तरह से मिल जाना मिट्टी में कि कोई कंधा देने वाला भी न हो कुछ हजम नहीं होता। संक्रमण… Read More

आदमी मिट्टी का पुतला है और जो चीज मिट्टी से बनती है वह मिट्टी में ही मिल जाती है किंतु इस तरह से मिल जाना मिट्टी में कि कोई कंधा देने वाला भी न हो कुछ हजम नहीं होता। संक्रमण… Read More
सभ्यताओं का भी अपना ही हिसाब होता है अपना ही ढंग होता है अपने ही ढंग से बनती हैं सभ्यताएं अपने ही ढंग से ढहती हैं सभ्यताएं। ढहने के साथ ही कुछ सभ्यताएं अपने पीछे छोड़ जाती हैं ऐसे चिन्ह… Read More
किसी स्थान को पहचानने की तरकीब समय को निर्धारित करने का तरीका तकनीक के घोड़ों पर सवार सभ्यता और धरती पर मौजूद अक्षांश और देशांतर रेखाएँ नेपथ्य में हैं। हथेलियों पर बना मणिबंध उस पर मौजूद स्वस्तिक और द्वीप और… Read More
हमारा सोचना कि हम जोर लगा दें तो पत्थर को भी पानी बना सकते हैं हमारा सोचना कि हम उछाल दें पत्थर तबियत से तो सुराख कर सकते हैं आसमान में हमारा सोचना भर था। ऐसी बहुत सी चीजें जो… Read More
मछलियाँ नहीं जानती लेना प्रतिशोध वे नहीं पहचान पाती उस मछेरे को जिसने फँसाया उसे अपने जाल में वे तो जानती हैं बस तड़पना तड़प तड़प कर मरना नदी से विच्छिन्न हो दरअसल वे परिचित हैं भलीभाँति अपने इतिहास से… Read More
कर दिया था प्रवाहित जल में अग्निदेव के निर्देश पर अर्जुन ने पांडवों के महाप्रस्थान के समय अपना गांडीव और उसी के साथ अपना अक्षय तूणीर भी जो पाया था उन्होंने अपनी साधना से स्वयं शिव से सृष्टि के कल्याण… Read More