आदमी
मिट्टी का पुतला है
और जो चीज
मिट्टी से बनती है
वह मिट्टी में ही
मिल जाती है
किंतु
इस तरह से
मिल जाना मिट्टी में
कि कोई
कंधा देने वाला भी न हो
कुछ हजम नहीं होता।
संक्रमण का
यह अनूठा दौर
कि जिसमें अचानक
पूरी दुनिया ही
जीने लगी है
मिट्टी में मिल जाने के
खौफ में
जो अभिशप्त है
हाथ पर हाथ धर कर
बैठे रहने को
बिलकुल असहाय
मानो
मिट्टी में मिलना
एक प्रक्रिया भर है।
मूकदर्शक हैं सभी
बड़े बड़े लोग
बड़ी बड़ी ताकतें
बड़ा से बड़ा प्रबंधन
ऐसा लगता है
मानो जिंदगी
वाकई मिट्टी के मोल
हो गई है
कुछ हजम नहीं होता।
हालाँकि
जानते हम भी हैं कि
आदमी
मिट्टी का पुतला है
और जो चीज
मिट्टी से बनती है
वह मिट्टी में ही
मिल जाती है…
फिर भी, फिर भी
कुछ हजम नहीं होता।
सुन्दर सृजन