vishva yudha

अधिकारों की करें सुरक्षा,
कर्तव्यों की करें फालना।
विश्व युद्ध के काले बादल,
नहीं गगन पर छा पाएंगे।।

अधिकार कर्तव्य तो हरदम,
साथ रहे हैं साथ रहेंगे।
इसके अधिकारों को ही तो,
हम उसके कर्तव्य कहेंगे।।
सामाजिक प्राणी है हम सब,
एक दूसरे के सहयोगी।
एक दूसरे को समझेंगे,
तो खुशियों को ला पाएंगे।।
अधिकारों की करें सुरक्षा ..

जहां रहेगी शांति वहीं तो,
हर विकास की सोच फलेगी।
अंधे लंगड़े मिल जाएं तो,
ही दोनों की दाल गलेगी।।
अंधों के कंधों पर लंगड़े,
बैठेंगे तो फिर यह होगा।
एक चलेगा एक बताए,
पथ तो पेट भरा पाएंगे।।
अधिकारों की करें सुरक्षा ..

सत्य न्याय की दीवारें हों,
हो परहित का फर्श जहां पर।
जहाँ त्याग की सिरपे छत हो,
रहता है आनंद वहां पर।।
नैतिकता “अनंत” रग-रग में,
होगी तो सुख-दुख बांटेंगे।
हर संकट को हरबाधा को,
लोगों तभी हरा पाएंगे।।
अधिकारों की करें सुरक्षा ..

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