mai pita nahin

कैसे कह दूं कि
मैं पीता नही हूँ।
रोज जीने के लिए
मैं पीता हूँ।
जिंदगी में इतना
सहा है हमने।
न पीते तो कब के
मर गए होते।।

बड़ी ही जालिम है
ये दुनियाँ।
छेड़े बिना लोग
रह नहीं सकते।
शांति से वो
रहने नहीं देंते ।
उन्हें जख्मों पर
नमक लगाना है।
और इस दर्द
को सहन करने,
हमे पीने का
एक बहाना है।।

कितने गमों को
हम अंदर रखे है।
उन्हें रोकने के लिए
हमे पीना है।
वरना मुझे मौत
गले लगा लेगी।
निर्दोष होते हुए भी
गुनहगार हो जायेंगे।।

पीना तो एक बहाना है ।
जिंदगी जीने के लिए।
जो मैं न पिऊ तो लोग,
घावों पर घाव देंगे।
और जीते जी
मरे हुए दिखेंगे।।

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