aazadi ka din

दिन आजादी का आया है
दिन आजादी का आया है,
आओ इसका गुणगान करें।
जो बलिदानों से मिला हमें,
न्योछावर उस पर जान करें।।

अब नहीं बेड़ियां पांवों में,
है पराधीनता की अपने।
अपनी आँखों को ये हक है,
अब देखे ये अपने सपने।।

कितने पापड़ बेले हमने,
कितनों का लहू बहाया है।
रातें जुल्मात की जब बीती,
तब नया सवेरा आया है।।

इस नए सवेरे पर आओ,
सब अपने सुख कुर्बान करें।
जो बलिदानों से मिला हमें,
न्योछावर उस पर जान करें।।

हम नहीं पिजरे के पंछी,
आकाश  में उड़ने वाले हैं।
अपनी किस्मत खुद लिखते हैं,
हम खुद अपने रखवाले हैं।।

गर्मी सर्दी  बरसातों  के
मौसम तो आने जाने  हैं।
हर मौसम के अनुकूल हमें,
तन अपने यहाँ बनाने हैं।।

विपदाओं के कांटे चाहे,
कितने ही लहू लुहान करें।
जो बलिदानों से मिला हमें,
न्योछावर उस पर जान करें।।

पहले तोलें फिर कुछ बोलें,
जो बोलें उसका मान करें।
पहले देखें परखें जांचें,
तब जाकर कुछ ऐलान करें।।

हर सुना अनसुना कर दें वो,
जिससे मन विचलित होता हो।
तन में तनाव आ जाता हो,
आलस जो मन में बोता हो।।

दिल जिसे न माने ऐ “अनन्त”,
क्यों धारण वो परिधान करें।
जो बलिदानों से मिला हमें,
न्योछावर उस पर जान करें।।

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