दिनांक 11 अगस्त को नागरी प्रचारिणी सभा, देवरिया के तत्वावधान में तुलसी जयंती समारोह मुख्य अतिथि श्री शलभ मणि त्रिपाठी (सदर विधायक), मुख्य वक्ता अष्टभुजा शुक्ल, प्रख्यात साहित्यकार, विशिष्ट अतिथि श्रीमती अलका सिंह, अध्यक्ष नगर पालिका परिषद, देवरिया की उपस्थिति में मनाया गया। समारोह के मुख्य अतिथि सदर विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा नागरी प्रचारिणी के प्रति मेरे मन में विशेष लगाव है। नागरी प्रचारिणी सभा जितनी उन्नति करेगी मेरा मन उतना ही आह्लादित होगा। आप हमसे जो अपेक्षा करेंगे उस पर मैं सौ प्रतिशत खरा उतरुंगा। देवरिया जनपद के नागरी प्रचारिणी सभा में तुलसी जयंती का आयोजन होना सुनकर मेरी छाती चौड़ी हो गयी। भगवान राम की परंपरा असत्य पर सत्य की जीत किस तरह हो सकती है, ये हमें तुलसी दास ने ठीक तरह समझाया। उनकी पितृ भक्ति, उनका आदर्श उनकी मर्यादा हमेशा अनुकरणीय रहेगी। हमें राम की शक्ति, राम के साहस में तुलसी दास नजर आते हैं।
आगे समारोह के मुख्य वक्ता अष्टभुजा शुक्ल ने अपने वक्तव्य में कहा तुलसी दास इतने महान हैं कि तुलसी दास पर जितना पढ़ा, लिखा गया और शोध हुए इतना किसी कवि पर नहीं हुआ। तुलसी दुनिया के अकेले कवि हैं जिनके कविता का पारायण होता है। ऐसा उनके महान कवि और काव्य शक्ति के कारण है। उनके काव्य में निहित काव्य शक्ति के तत्व उनकी कविता का पारायण करने के लिए लोगों को विवश करते हैं। तुलसी दास पुराण, निगम, आगमन और बहुत सारे अन्यान्य भी पढ़ें थे।आज का कवि पढ़ता नहीं सिर्फ लिखता है और यही कारण है कि आज की कविता पढ़ी नहीं जा रही। तुलसी दास ने रामचरित मानस के दोहा संख्या दो से चौदह तक केवल कवि और कविता की बात कही है।एक बड़ा कवि ही ‘नहीं दरिद्र सम दुख जगमाही’ कह सकता। उन्होंने एक अच्छे व्यक्ति के मिलने को सबसे बड़ा सुख मानते हैं। आगे शुक्ल जी ने कहा भारत को हिंसा और आपदा से बचाने के लिए राम नहीं आयेंगे। देश को श्रेष्ठ नागरिक ही बना और बचा सकता है। आज अच्छी सोच रखने वाले व्यक्ति की जरुरत है। ऐसे व्यक्ति को तुलसी साहित्य के माध्यम से तैयार किया जा सकता है। तुलसी का काव्य विवेक ही राम को रावण के सम्मुख विरथ खड़ा किया जबकि वाल्मीकि के राम रथ पर सवार होकर युद्ध करने जाते हैं। तुलसी परंपरा का अंधानुकरण करने वाले कवि नहीं है। उनका अपना काव्य विवेक है।
कार्यक्रम का शुभारंभ अंजली अरोरा द्वारा वाणी वंदना से हुआ। तत्पश्चात आठ अगस्त को सभा में हुई प्रतियोगिता में स्थान प्राप्त छात्र छात्राओं को मुख्य अतिथि गण द्वारा प्रमाण पत्र और पुस्तक प्रदान किया। संयोजक दिनेश कुमार त्रिपाठी ने आगत अतिथि गण और श्रोताओं के उपस्थिति के प्रति आभार व्यक्त किया। अध्यक्ष आचार्य परमेश्वर जोशी ने स्वस्तिवाचन और मंगल पाठ किया।
इसके पूर्व प्रातः आठ बजे विद्याधर्म संजीवन संस्कृत महाविद्यालय के आचार्य गण द्वारा तुलसी दास जी और रामचरित मानस का पूजन हुआ और सुन्दर काण्ड का पाठ अध्यक्ष आचार्य परमेश्वर जोशी, कार्यक्रम के संयोजक दिनेश कुमार त्रिपाठी, वृद्धि चन्द्र विश्वकर्मा और उनके साथियों द्वारा किया गया। समारोह का समापन राष्ट्र गान के साथ हुआ। इस अवसर पर गोपाल कृष्ण सिंह रामू, डॉ दिवाकर प्रसाद तिवारी, कौशल कुमार मिश्र, अनिल कुमार त्रिपाठी, रमेश चन्द्र त्रिपाठी, बृजेश पाण्डेय , डॉ शकुंतला दीक्षित, श्रीमती दुर्गा पाण्डेय, डॉ मधुसूदन मणि त्रिपाठी, अंजलि अरोड़ा, सतीश पति त्रिपाठी, इन्द्र कुमार दीक्षित, श्वेतांक करन त्रिपाठी, रजनीश गोरे, शुभम नाथ त्रिपाठी, उद्भव मिश्र, सतीश चन्द्र भाष्कर, शशिकान्त मिश्र, प्रेम अग्रवाल आदि गणमान्य उपस्थित रहे।