सत्ता से टकराने का साहस देता है साहित्य : प्रो. चितरंजन मिश्र
*अमृत पर्व नागरी सम्मान व पतहर पत्रिका का औपचारिक लोकार्पण कार्यक्रम*
देवरिया। कोई भी सत्ता कितनी ही ताकतवर क्यों ना हो वह साहित्य से ताकतवर नहीं हो सकती। इंजीनियर सड़क तो चौड़ी कर सकता है, वह आदमी के दिमाग को चौड़ा नहीं कर सकता। यह काम साहित्य ही करता है। साहित्यकार का सम्मान सदाचार व मूल्यों का सम्मान होता है। साहित्यकार सत्ता से टकराते हुए रचने का काम करता है। उक्त आशय का विचार गोरखपुर विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफ़ेसर चितरंजन मिश्र ने व्यक्त किया। वे सोमवार को नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा आयोजित अमृत पर्व नागरी सम्मान व पतहर पत्रिका के डॉक्टर परमानंद श्रीवास्तव स्मरण अंक के औपचारिक लोकार्पण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि साहित्य लोगों के मूल्यों का निर्माण करता है। गांधीजी के मन में सत्य का विचार हरिश्चंद्र नाटक देखने के बाद आया था। प्रोफ़ेसर मिश्र ने कहा कि सम्राटों का इतिहास शासन की विजय यात्रा के बाद खत्म हो जाता है। कवि व साहित्य का इतिहास अमर होता है, वह अमृत होता है, जीने की ताकत देता है।प्रोफ़ेसर मिश्र ने पतहर पत्रिका की चर्चा करते हुए कहा कि परमानंद श्रीवास्तव पर अंक निकालना उनका सम्मान करना है। यह अंक मूल्यवान है। परमानंद जी इस अंचल के पहले रचनाकार हैं, जिन्होंने नवोदित रचनाकारों को आगे बढ़ाया था। वह काम किसी ने नहीं किया। हमारे समय में सबसे कठिन काम आयोजन करना है। आयोजक होना सबसे कठिन काम है, परमानंद जी जीवन भर आयोजन करते रहे। उन्होंने कहा कि अफनाए हुए समाज में साहित्य की जरूरत क्यों है। साहित्य आदमी होने की शिक्षा देता है। मूल्यों के लिए लड़ने की प्रेरणा देता है। साहित्य सिंहासन से बड़ा होता है। दुनिया बराबर पुरानी होती है। साहित्य दुनिया को नया करती है। तमाम राजाओं की कब्रों को कोई नहीं पूछता लेकिन संतों की कब्रों पर चादर चढ़ाई जाती है। यह कविता की ताकत है। सीखने का हिसाब नहीं होता है। इसका घोटाला भी नहीं होता है। कवि की दुनिया घोटाले की दुनिया से बाहर होती है। आदमी के साथ कवि खड़ा होता है, कवि पर समाज का बहुत भरोसा है। कविता के इतिहास से पुराना है, कवि का इतिहास।
प्रोफेसर मिश्र ने सौन्दर्य की चर्चा करते हुए कहा कि मोहल्ले से लेकर विश्व तक की सुंदरियां हैं लेकिन शकुंतला, राधा के जितना सौंदर्य नहीं दिखता। साहित्य में सौन्दर्य वास्तविक पहचाने जाते हैं।वरिष्ठ कवि ध्रुवदेव मिश्र पाषाण के 80 वें जन्मदिन पर व वरिष्ठ कवि, संपादक जयनाथ मणि त्रिपाठी को मिल रहे अमृत पर्व नागरी सम्मान में बोलते हुए प्रोफेसर मिश्र ने कहा कि पाषाण जी को देश में बहुत सम्मान मिला है, उनका काम गैर हिंदी भाषी लोगों के मध्य साहित्य की अलख जगाना रहा है। वहीं जयनाथ मणि एक कुशल साहित्यकार व संपादक रहे हैं। उन्होंने साहित्य को आगे बढ़ाया है। अंचल भारती पत्रिका के माध्यम से उन्होंने इस अंचल में साहित्य की जितनी सेवा की है, वह प्रशंसनीय है। इन दोनों वरिष्ठ कवियों को यह सम्मान मिलना साहित्य को सम्मान मिलना है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बीआरडी पीजी कॉलेज बरहज के पूर्व प्राचार्य डॉ उपेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि पाषाण जी दूसरे मुक्तिबोध हैं, जो समय की चुनौतियों से टकराते हैं। पतहर की तरफ से बोलते हुए डॉ चतुरानन ओझा ने कहा कि पतहर का यह स्मरण अंक अभी अधूरा है, डॉ परमानंद श्रीवास्तव संपूर्ण साहित्यकार थे। उन पर अभी ढ़ेर सारे काम करने बाकी हैं। पतहर आगे और भी साहित्य, समाज निर्माण में अपनी भूमिका निभाएगी।सम्मानित होते हुए वरिष्ठ क्रांतिकारी कवि ध्रुव देव मिश्र पाषाण ने पढ़ा – मैं कवि हूं, मेरी नसों में प्रवाहित जीवन रस धरती का है, जो कभी सूखता नहीं है। जयनाथ मणि त्रिपाठी ने अपनी कविता सुनाते हुए पतहर पत्रिका का आभार व्यक्त किया कि जो काम मैंने चाह कर भी नहीं कर पाया वह इस पत्रिका के लोगों ने कर दिखाया है। पत्रिका के लोग साधुवाद के पात्र हैं।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नागरी प्रचारिणी सभा के उपाध्यक्ष डॉ दिवाकर प्रसाद तिवारी ने कहा कि आज का यह सम्मान समारोह हम सब में ऊर्जा प्रदान करेगा। अंचल को पतहर पत्रिका से ढेरों उम्मीदें हैं।इसके पूर्व सभा द्वारा कविद्वय को स्मृति चिन्ह अंग वस्त्र देकर अमृत पर्व नागरी सम्मान से अलंकृत किया गया। तत्पश्चात पतहर पत्रिका के डॉक्टर परमानंद श्रीवास्तव स्मरण अंक का औपचारिक लोकार्पण मुख्य अतिथि व अतिथियों द्वारा किया गया। साथ ही बाल उपयोगी पुस्तकों के रचनाकार बद्रीप्रसाद अनजान की कहानी पुस्तक बगुले की चाल का भी लोकार्पण अतिथियों द्वारा संपन्न हुआ। इस अवसर पर श्री अंजान ने अपनी एक लघु कहानी प्रस्तुति की। कार्यक्रम की शुरूआत द्वीप प्रज्वलन के बाद कवि धर्म देव सिंह आतुर द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ। इस अवसर पर उपस्थित कवियों ने कविता पाठ किया।
कार्यक्रम का संचालन मंत्री इंद्र कुमार दीक्षित तथा आभार ज्ञापन संयोजक रविंद्र तिवारी ने किया। इस अवसर पर बृजेंद्र मिश्र, हिमांशु कुमार सिंह, सरोज पांडेय, अनिल कुमार, अजय तिवारी, जयप्रकाश कुशवाहा, कमलेश मिश्रा, रविंद्र यादव, दुर्गा पांडेय, गीता पांडेय, पतहर पत्रिका के संपादक विभूति नारायण ओझा, दुर्गा द्विवेदी, वरुण कुमार पांडेय, कौशल कुमार, राम सिंहासन तिवारी, उद्भव मिश्र, मुक्त विचारधारा के संपादक चक्रपाणि ओझा, आशुतोष श्रीवास्तव, अनुज, महेश सिंह, नित्यानंद यादव, राजेश मणि, श्रवण कुमार दीक्षित, शिव नारायण मिश्र, राजमंगल मिश्र, सौदागर सिंह, पत्रकार वाचस्पति मिश्र, महेन्द्र तिवारी, आद्या प्रसाद, राजेश कुमार यादव, जगदीश उपाध्याय आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।