डीसी यूनिवर्स के सबसे खतरनाक एवं शक्तिशाली विलेन “जोकर” की बहुप्रतीक्षित सोलो फ़िल्म इस हफ्ते रिलीज हुई है। चूंकि डीसी कॉमिक्स और कार्टून सीरीज के सभी फैन जोकर के बारे में पहले से ही जानते है कि उसकी ओरिजिन स्टोरी क्या रही है। वह किस तरह गॉथम शहर में अपने आतंक से शहरवासियों को नुकसान पहुंचाता है।
इसके पहले, बैटमैन सीरीज की कई फिल्मों में जोकर मुख्य विलेन के रूप में दिखाई दे चुका है। 80 और 90 के दशक में भी सिनेमा प्रेमी जोकर को पर्दे पर हाहाकार मचाते हुए देख चुके थे अभी कुछ वर्ष पूर्व में आई फिल्म सुसाइड स्क्वाड में भी ज़ोकर मुख्य भूमिका में दिखाई दिया था।
इन सबको पीछे छोड़ते हुए यह जो फिल्म आई है यह जोकर की वास्तविक ओरिजिन स्टोरी नही है। यह सिर्फ और सिर्फ फिल्म के निर्देशक टॉड फ़िलिप्स और लेखक स्कॉट सिल्वर के द्वारा रचा गया मायाजाल है, जिसने दर्शकों को कंफ्यूज कर रख दिया है। दरअसल टॉड फ़िलिप्स फिल्म में किसी भी साइड को लेते या फ़िल्म का अर्थ क्या है यह कहने का प्रयास करते नही दिखे। उन्होंने यह सब दर्शको पर छोड़ दिया है कि वे इस फिल्म को किस तरह देखते या समझते है।
रॉबर्ट डी नीरो की एक्टिंग देखने के लिए ज़ोकर फिल्म देखने जा रहे हो तो यह वक़्त और पैसे की बर्बादी होगी।
यह पूरी फ़िल्म वाकिन फ़ीनिक्स के इर्द गिर्द घूमती है। इसमें अन्य किरदार सिर्फ प्रॉपर्टीज की तरह है, फ़ीनिक्स की मेथड एक्टिंग ने हालांकि प्रभावित किया है। क़िरदार की अंतरात्मा में घुस जाने की कला वाकिन फ़ीनिक्स ने गज़ब पाई है। पर उनकी तुलना हीथ लेज़र के जैसी परफॉर्मेन्स से करना गलत होगा। हीथ लेज़र का ज़ोकर वाकिन फ़ीनिक्स के ज़ोकर से बहुत अलग है। वाकिन फ़ीनिक्स के अभिनय से नए कलाकार बहुत कुछ सीख सकते हैं।
फ़िल्म का संगीत फिल्म की जान है। यह कहानी कहने में सहायता प्रदान करता है, जोकर के किरदार को निखार कर दर्शको के सामने लाता है, फिल्म में जिमी दुरांते का एक गीत “स्माइल” जो फिल्म के ट्रेलर के वक़्त भी सुनाई दिया था बेहद प्रभावित करता है।
मुझे यह फिल्म पसन्द आई पर यह मेरी अपेक्षाओं पर खरी नही उतरी। यह मेरा व्यक्तिगत दृष्टिकोण है इस फिल्म को लेकर। क्रिस्टोफर नोलन का ज़ोकर और टॉड फिलिप्स के ज़ोकर में जमीन आसमान का अंतर है। हालाँकि दोनों अभिनेताओं ने जो काम किया है वह अविस्मरणीय है ।
इस साल का ऑस्कर वाकिन फ़ीनिक्स को अवश्य मिलना चाहिए। वे तीन बार इस अवार्ड के काफी करीब पहुंच कर निराश हो चुके है पर इस बार उनकी लगन और किरदार पर की गई उनकी मेहनत और दमदार अभिनय उन्हें ऑस्कर दिलवाकर रहेगा।
इस फ़िल्म का आनन्द आपको सिनेमा हॉल में ही प्राप्त होगा।
यदि आपने इसके पहले ज़ोकर की फिल्में या कार्टून सीरीज नही देखी फिर भी आपको यह फ़िल्म देखना चाहिए, यह आपको फिल्में देखने का एक अलग नजरिया प्रदान करेगी।
फिल्म डार्क है, डार्क से भी बद्तर जिसकी शुरुआत एक मेकअप रूम से होती है और अंत एक पागलखाने में पर फिल्म की कहानी क्या वास्तव में घटित हुई थी या वह सिर्फ किरदार ज़ोकर के मस्तिष्क की उपज थी यह कह पाना मुश्किल है।
यह फिल्म आप अपने रिस्क पर देख सकते हैं। फिल्म डिस्टर्बिंग है। वेनिस फ़िल्म फ़ेस्टिवल के दौरान भले ही इस फिल्म के सम्मान में खड़े होकर तालियाँ बजाई गईं पर साथ ही यह भी कहा गया था कि यह फिल्म डीसी यूनिवर्स की डार्क फिल्मों से और भी ज्यादा बद्तर है, इसे देखने से पहले सावधान रहें।
पर फ़िल्म में होने वाले मर्डर सीन्स पर ऑडियन्स जिस तरह तालियां पीट रही थी, सीटी मार रही थी, यह मुझे फ़िल्म से भी अधिक खतरनाक लगा। ज़ोकर जो कि एक मानसिक रोगी है, जिसकी ज़िंदगी उसके जन्म से ही नर्क रही है। जो प्यार और तवज़्ज़ो प्राप्त करने के लिए समाज में संघर्ष करते आ रहा है पर उसे सदैव हताशा ही प्राप्त होती है, गॉथम शहर के लोग उसकी कमजोरी और मजबूरी का फ़ायदा उठाते है उसे मारते, पीटते है। जिस जगह वह काम करता है वहाँ उसका मालिक उसके साथ दुर्व्यवहार करता है, उसके साथी उसका मजाक बनाते हैं। वह यह सब सहता है, अपमान बर्दाश्त करता है, गालियाँ सुनता है, फिर वह हथियार उठा लेता है और वह अस्सी के दशक में चल रहे आंदोलन “अमीरों को मारो” का मुख्य किरदार बन जाता है जिसके पीछे उसकी ही तरह के हताश और निराश लोग खड़े है जो शहर को तबाह कर देना चाहते है।
ज़ोकर जिस तरह हत्याएं करता है उस पर ऑडियन्स जिस तरह से तालियां पीटती हुई दिखी वह सही नही लगा। एक सीन में तो मुझे अपनी आँखे बंद करनी पड़ी, हालाँकि वही सीन मैंने दो बार देखा था क्योंकि यह फिल्म मैंने लगातार दो दिन देखी और वह उतना ही डिस्टर्बिंग मेरे लिए कल भी था और आज भी रहा शायद वह हमेशा मेरे लिए डिस्टर्बिंग ही रहे पर उसी सीन में दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से काफी शोर मचाया।
क्या यह वाकिन फ़ीनिक्स का अभिनय था, या वह दृश्य ऐसे थे।
क्या डायरेक्टर टॉड फिलिप्स यह दिखाना चाहते थे कि समाज बदला नही है, इन ताली पीट रहे लोग वही है, जो आज ज़ोकर के साथ खड़े हुए है, जो अब दंगाई बन चुके है, शहर को आग लगा रहे हैं। अमीरों को मार कर उनके घरों में कब्ज़ा कर रहे है।
ऐसी ही एक क्रांति कुछ वर्षों पहले हो चुकी थी जिसके भीषण परिणाम की कीमत दुनिया आज तक चुका नही सकी है।
डायरेक्टर टॉड फ़िलिप्स ने यह दर्शा दिया है कि लोग अंदर से वैसे ही है जैसे गॉथम शहर के लोग थे।
हो सकता है कि मैं कुछ अधिक ही सोच रहा हूँ पर ऑडियन्स के इस तरीके के रिस्पॉस से मुझे  विचलित कर दिया है।
इसे एक फ़िल्म की तरह दर्शक क्यों नही देखते या समझते। फिल्म डार्क है यह बात सभी को पता है, पर जबर्दस्ती फ़िल्म से सन्देश क्यों खोजा जा रहा है। फ़िल्म डीसी यूनिवर्स के एक विलेन किरदार ज़ोकर पर आधारित है बात बस इतनी सी है।
इससे अधिक आप और क्या उम्मीद लगाकर बैठे हुए हैं, यदि कुछ सीखना है तो यह सीखिए कि किसी भी ऐसे इंसान का मजाक ना उड़ाए जो किसी भी प्रकार से अक्षम हो। जो मानसिक रोगी हो या किसी भी प्रकार की बीमारी से ग्रस्त हो। किसी भी मजबूर या असहाय को तंग मत  कीजिये। उसकी ज़िन्दगी पहले से ही एक ट्रेजडी है उसमें आप कॉमेडी मत तलाशिये। हो सके तो मदद करिए अन्यथा अपने कार्यो में व्यस्त रहिये।
जब किसी शहर में लोग भारी तादाद में बेरोज़गार हो तो वे कुछ ऐसे कदम उठा लेते है जो अपराध करने या अपराधी बनाने की ओर जाता है।
जैसा की गॉथम के निवासी जिनके पास कुछ काम धंधा नही रहता वे ज़ोकर की नौकरी कर रहे आर्थर फ़्लेक को परेशान करते है उसके साथ मार पीट करते हैं।
एक सीमा के बाद उसके अंदर एक शैतान समा जाता है और वह उन लोगो की हत्या करने लगता है जिन लोगो ने उसे दुःख दिए, दिल दुखाया या उसे मारा पीटा।
आर्थर खुद की पहचान बनाने की कोशिश कर रहा होता है पर हर बार नाकाम साबित होता है, इंसान चाहे छोटा काम करे या बड़ा उसे तवज्जो की भूख तो होती ही है। यदि वह ईमानदारी से कार्य कर रहा है तो उसे वह सब मिलना चाहिए जिसका वह हकदार है।
मेरा यही मानना है कि आप इस फिल्म को फिल्म समझकर ही देखिये। यह एक इंटेंस फिल्म है और फिर एक बार यह एक फिल्म है यदि आपको शिक्षा प्राप्त करना हो तो अच्छी किताबें पढ़िए या स्कूल या कालेज जाइए। फिल्मो से शिक्षा प्राप्त करने में समय व्यर्थ मत कीजिये।
मुझे यह फ़िल्म काफी पसंद आई। मैं काफी समय से इस फिल्म के इंतजार में था इसलिए दो मर्तबा यह फिल्म देखी, चूंकि इसके पहले मैंने रोबर्ट डिनीरो की ही फिल्में टैक्सी ड्राइवर और द किंग ऑफ कॉमेडी देख ली थी इसलिए मुझे इस तरह की फिल्मों से डील करना आ चुका था।  नही तो अनुराग कश्यप की फिल्में क्या कम डार्क होती है। जिन्होंने उन फिल्मों के साथ डील कर लिया है उनके लिए फिल्म जोकर कुछ भी नही हैं।
#joker 
फिल्म – जोकर
निर्देशक – टॉड फ़िलिप्स
स्टार कास्ट – वाकिन फ़ीनिक्स, सर रोबर्ट डिनीरो

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