लक्ष्मीबाई कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) में बीते 18-19 सितंबर को ‘मीडिया और लोकतंत्र‘ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। दो दिवसीय कार्यक्रम में उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता प्रो.कैलाश नारायण तिवारी, मुख्य अतिथि सांसद मनोज तिवारी, वक्ता के रूप दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के कुलपति राममोहन पाठक, विश्वनाथ पांडेय, प्रो.प्रकाश सिंह उपस्थित थे।
‘मीडिया और लोकतंत्र’ के संबंध में प्रकाश सिंह ने कहा की-जब तक जनता जागरूक नहीं होगी तब तक लोकतंत्र खतरे में रहेगा,टी आर पी के खेल ने मीडिया  के महत्व को कम कर दिया, और जब तक मीडिया विज्ञापन के भरोसे,सरकार की नीतियों और राजनेताओं पर निर्भर रहेगा  तो मीडिया का तटस्थ होना मुश्किल है।
राममोहन पाठक ने कहा ने कहा की-दक्षिण में हिंदी का विरोध नहीं हिंदी का बहार है।आगे उन्होंने कहा की राम मनोहर लोहिया कहते थे की-प्रयोग में हिंदी रखिये,माता की भाषा है  और लोकतंत्र की भाषा है।मीडिया के सकारात्मक पक्ष पर बात करते हुए उन्होंने कहा की हरियाणा में एक लड़का गिरने और उसके निकलने तक की 52 घंटे की कवरेज में एक चैनल ने 7 करोड़ का विज्ञापन ठुकराया था। मीडिया के जानकार विश्वनाथ पांडेय के अपने पुराने दिनों की बात से शुरुआत की।उन्होंने कहा की-आज़ादी के बाद भारत में संघर्षों का दौर शुरू हुआ था,कठिन समय में निकलने वाला अख़बार भी लोक चिंतन की बात करता था।आज आधुनिकता के दौर में भयानक संकर रहा है। दुनिया के गैर वादी लोकतंत्र और वादी लोकतंत्र सब मीडिया के नकारात्मक खबरों से परेशान है। आजकल मीडिया के उपेक्षा का दौर चल रहा है,जिसका मीडिया खुद जिम्मेदार है।
अपनी व्यस्तता के कारण देर से पहुँचे सांसद मनोज तिवारी ने अपने गीतों के माध्यम से मीडिया और लोकतंत्र को एक दूसरे का पूरक बताया। कुछ गानों के उदाहरण से उन्होंने यह भी कहा की कैसे उनके गाने लोकतंत्र की आवाज़ की आवाज़ बने।उन्होंने खुद के बारे कहा की उन्होंने संगीत के माध्यम से पत्रकारिता की है उन्होंने जनजागरण के लिए जो गाने गाये थे वो लोकतंत्र की मुख्य आवाज बन गई।आगे वे बेटी बचाओ,गंगा रक्षा,लालबत्ती का हटना आदि पर अपने गाने की प्रासंगिकता की चर्चा की।
इस सत्र की अध्यक्षता कर रहे प्रो.कैलाश नारायण तिवारी ने कहा की -पहले मीडिया देश के प्रति सहानुभूति रखती थी और अब पूंजीपतियों के मुठ्ठी में आ गयी है।आज मीडिया निश्चित तौर पर अपने संबंधों का निर्वाह नहीं कर रही है यह सही बात का लेकिन स्वतंत्रता के दौर के पत्रकार को नहीं भूलना चाहिए जिनके योगदान से लोकतंत्र बना है।आगे उन्होंने मीडिया और लोकतंत्र में राजनीति की बड़ी भूमिका पर टिप्पणी की और अपने बनारस के दिनों को याद करते हुए कहा की लोकतंत्र में लोग ही तंत्र का निर्माण करते है।हमें यह नहीं भूलना चाहिए की मीडिया केवल माध्यम है लोकतंत्र जन जन की भागीदारी से मजबूत रहेगा।
कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य प्रत्यूष वत्सला ने लोकतंत्र में मानवाधिकार की बात करते हुए कहा की-हम सब इस लोकमानस में शामिल है इससे मिलकर ही तंत्र बनता है।उन्होंने संगोष्ठी को हिंदी माध्यम में जारी रखने की इच्छा भी आगे के सत्र में जारी रखने की अपील की। इस सत्र का संचालन राजनीति विज्ञान की शिक्षिका अमृता शिल्पी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभाग में कार्यरत शिक्षक अरुण कुमार जी ने किया।
Attachments area

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *