इसी भारत भू पर कभी
अवतरण हुआ था
एक ऐसे व्यक्ति का
जो स्वभाव से संत था
और कर्म से सैनिक
एक ऐसा संत !
जिसके हृदय में प्रेम का सागर था
दिल में छलकता दया का गागर था
जिसके विचार ऊंचे और जीवन सादा था
जिसे जन समुदाय का फ़िक्र ज्यादा था
जो दूसरों के दुःख से द्रवित हो जाता था
अंग्रेजों के अत्याचार से कल्पित हो जाता था
जिसने एकता सहिष्णुता का पाठ पढ़ाया था
शांति और सदाचार का मार्ग दिखाया था
एक ऐसा सैनिक !
जिसके एक हाथ में सत्य की तलवार
तो दूसरे हाथ में अहिंसा की ढाल थी
इन्हीं अस्त्रों के बल पर जिसने
खुद हवनकुंड में जल कर जिसने
गुलामी की जंजीरों में जकड़ी
भारत मां को आजादी दिलायी थी
फिरंगियों के जुल्मों-सितम से
हमवतनों को मुक्ति दिलायी थी
एक ऐसे महामानव !
जिन्होंने किसी आदमी को
या किसी भी काम को
तुच्छ नहीं समझा
लोगों ने जिसे
अछूत कह दुत्कार दिया
उन्होंने उसे ही
हरिजन कह सम्मान दिया
बराबरी का स्थान लिया
आवाम ने उन्हें ही बापू कहा
और राष्ट्रपिता का मान दिया
उसी बापू ने देखा था सपना
स्वतंत्र भारत में रामराज्य का
पर आज देख यहां रावण-राज
क्रंदन कर उठती होगी उनकी आत्मा
ओह!
अराजकता का ऐसा माहौल
घोटालों का यह अनवरत सिलसिला
परवान चढ़ता व्याभिचार और कदाचार
सीढ़ियां चढ़ता अनाचार और भ्रष्टाचार
इंसानियत, नैतिकता और देशभक्ति का
रोज-रोज निकलता जनाजा
लक्ष्य व
हे गांधी!
आज यहां फिर तेरी
जरूरत आन पड़ी है
भारत माता रो-रोकर
तुझे बुला रही है
आकर पहले मिटा दो बापू
उन सवार्थी गद्दारों को
आतंकी हैवानों को
जो भारत माँ की
बोटी-बोटी नोचकर
गरीबों का खून चूस चूस कर
अपने घर भरने में
दिखते ज्यादा सक्रिय हैं
आकर तुम बचा लो बाबू
रसातल में जाते इस देश को
विषाक्त होते परिवेश को
गर्त में गिरते हुए
मानवीय मूल्यों को
और सरेआम नीलाम होती हुई
भारत माँ की
इज्जत-आबरू को _ _ _ _ _ _