winter mausam

सर्दी रानी ने जैसे ही,
अपने दरवाज़े खोले।
बिन बुलाए निंदिया आए,
सुस्ती की तूती बोले॥

पलक झुका दुल्हन के जैसे,
धूप खड़ी है आंगन में ।
घर के सारे लोग आ गए ,
धूप वधू के स्वागत में ॥

सिक्का ख़ूब रात का चलता,
एक न दिन की चल पाए ।
सूरज के आवारापन पर,
कोहरा पहरे लगाए॥

हवा नुकीली तन को छीले,
अब मारे पानी कोड़ा ।
खांसी जुकाम घूम रहे हैं,
अब सीना करके चौड़ा ॥

करें अकड़ ढीली सर्दी की ,
अलाव अंगीठी हीटर ।
बचाए शीत की घुड़की से,
दस्ताने टोपी स्वेटर ॥

साग, गजक, सिंघाड़ा, अदरक,
करे शीत की अगुवाई ।
अलमारी से छलांग लगाए,
अब कम्बल और रजाई ॥

दांत किटकिटाएं, सांस धुआँ,
काँपे काया भी थरथर ।
हाथ पैर को सुन्न कर रहे ,
तीखे मौसम के तेवर ॥

सर्दी में शबनम ने पार्टी ,
लम्बी चलाई रात में ।
सूरज दादा डरे डरे से,
बंद धुन्ध हवालात में ॥

गाजर हलवा ,मूंगफली की ,
किस्मत जाड़े में जागे ।
आइस क्रीम और कोल्ड ड्रिंक,
सर्दी में हुए अभागे ॥

एसी, कूलर आतंकी से,
शीत ऋतु में लगते हैं ।
आँच आग की महबूबा सी,
आँच रात दिन तकते है ॥

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