नये बोतल में पुरानी शराब को भरकर बेचने की असफल कोशिश है कबीर सिंह। इस फ़िल्म को देखकर लगता है हिंदी सिनेमा 21 वीं सदी में अब भी लव, लड़की और ब्रेकअप तक ही अपने आप को बांधे हुए है। दिल्ली के मेडिकल कॉलेज के सर्जन कबीर सिंह (शाहिद कपूर) का प्यार, भूमंडलीकरण के इस युग में प्यार की नई परिभाषा सीधे प्वाइंट पे आओ न को परिभाषित करती है और उसी स्पीड से जब ब्रेकअप होता है तो कबीर सिंह की लव स्टोरी नशे की लत में डूब जाती है। इसी छोटे से विषय को बड़े बोझिलता के साथ बयां किया गया है। फ़िल्म का फर्स्ट हाफ तो आप देख भी ले तो सेकेंड हाफ में आपका धैर्य भी जवाब दे सकता है। हां युवाओं को इस फ़िल्म ने मौके का सही यूज कर किस करना जरूर सिखाया है। किसिंग सीन की भरमार फ़िल्म का एकमात्र आकर्षण है। फ़िल्म में बुलेट, दारू, सिगरेट, लड़की और नशा ही कहानी को आगे बढ़ाती हैं। कायरा आडवाणी एक सिंपल सीधी साधी लड़की प्रीति जो कि फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट है के किरदार में अच्छी लगी हैं। जिससे कबीर सिंह को एक ही नज़र में प्यार हो जाता है। अपनी दादागिरी दिखाते हुए इसकी घोषणा वो फर्स्ट ईयर की क्लास में ही अपने सभी जूनियर के सामने जाकर कर देता है कि ये मेरी बंदी है, इसे छोड़कर बाकी सब तेरी। पूरी कहानी इन्हीं के इर्द गिर्द कॉलेज के परिसर में घूमती है, जिसमें नयापन कुछ खास नहीं है। शाहिद कपूर के नये लुक को देखकर फैन्स अगर इस मूवी में कुछ नया देखने के मकसद से जा रहें हैं तो उन्हें काफी निराशा ही हाथ लगेगी। उड़ता पंजाब की छवि का असर दिखता है शाहिद कपूर पर। अभिनय के लिहाज से शाहिद कपूर से ज्यादा अच्छा अभिनय उनके दोस्त शिवा (सोहम मजूमदार) का है। जिसके किरदार को बढ़ने का पूरा अवसर भी मिला है। बाकी अन्य में भाई के किरदार में अर्जन बाजवा, पिता के किरदार में सुरेश ओबरॉय, अमित शर्मा, निकिता दत्ता, अनुशा संपथ, आदिल हुसैन, कुणाल ठाकुर और स्वाति सेठ आदि सबका अभिनय ठीकठाक कह सकते है। गीत संगीत भी कामचलाऊ है। 2017 की अपनी ही तमिल फिल्म अर्जुन रेड्डी को लेखक-निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा ने कबीर सिंह नाम से हिंदी रीमेक बनाया है। फ़िल्म में अचानक ही सबकुछ हो जाता है। जैसा साउथ की फिल्मों में होता है, जिसका असर इस हिंदी रीमेक पर भी है इसलिए पूरी की पूरी फिल्म कॉपी लगती है। फ़िल्म का अंत जबरन हैप्पी एंडिंग है। जो दर्शकों को खटकता जरूर है। खैर अंत भला तो सब भला, इस फार्मूले पर आप ये फ़िल्म अपने टाइमपास के लिए देख सकते हैं। मेरी ओर से इस फ़िल्म को 5 में से मिलेंगे 2.5 स्टार।