वो परदेशी जाना नहीं, मेरा गांव बहुत ही प्यारा है।
गांव का नाम है, प्रेम नगर, और मेरा नाम भी प्यारा है॥-2
वो परदेसी जाना नहीं ……
गांव की मेरी हर बात निराली है, मिश्री से मीठा कुंवे का पानी है।
होओओओ…..
सावन में झूलों की गीत सुहानी है, चारों तरफ हंसती हरियाली है॥-2
गांव में है, एक पक्की सहेली, उसका नाम भी प्यारा है!
गांव का नाम है………….वो परदेसी जाना नहीं …………..
कोयल की बोली, कू कू तुम सुनलो ज़रा, बाग़ बगीचों में, सैर भी करलो ज़रा।
होओओओ…….
गांव की कुस्ती,और खेलो कबड्डी ज़रा, नदी-तालाबों में, डुबकी लागलो ज़रा॥-2
भोर में उगते, सूरज की लाली, नदी का किनारा भी प्यारा है!
गांव का नाम है………….वो परदेसी जाना नहीं …………..
अपनी नज़र में,मुझको बसाकर तुम, गांव तुम अपना, हंसकर दिखादो ना।
होओओओ……..
खेतों में चलते, बैल दिखादो तुम, पीपल के छांव में पानी पिलादो ना ॥-2
उषा, निशा, या पूजा, दिशा, कौन सा नाम तुम्हारा है?
गांव का नाम है………….वो परदेसी जाना नहीं …………..
मेरा नाम है, राम ओ प्यारी, कौन सा नाम तुम्हारा है?
वो परदेशी जाना नहीं, मेरा गांव बहुत ही प्यारा है।
गांव का नाम है, प्रेम नगर, और मेरा नाम भी प्यारा है॥-2