कितना पवन दिन आया है।
सबके मन को बहुत भाया है।
कंस का अंत करने वाले ने।
आज जन्म जो लिया है।।
काली अंधेरी रात में नारायण।
लेते देवकी की कोक से जन्म।
इसी प्यारे बालक को कहते
कान्हा कन्हैया श्याम कृष्ण हम।।
जन्म लिया काली राती में,
तो बदल गई धरा।
और मृत्युभय बैठा दिया
कंस के दिल दिमाग में।
भागा भागा आया जेल में,
पर ढूढ़ न पाया बालक को।
रचा खेल नारायण ने ऐसा,
जिसको भेद न पाया वो।।
लीलाएं फिर कुछ ऐसी खेली।
मंथमुग्ध हुए गोकुल के वासी।
आगे पीछे भागे यशोदा।
देख रहे नंद मां बेटा का तमासा।
करते परेशान गाँव वालो को
फिर भी सबके मन भाते है।
गोपीयाँ ग्वाले और क्या गाये,
धुन बन्सी की पर थिरकते है।
और मौज मस्ती करके वो,
अपनी लीलाएं दिख लाते है।
और मामा कंस को दिनरात,
सपने में बहुत सताते है।।
प्रेम भाव दिलमें रखते थे,
तभी तो राधा से मिल पाए।
नन्द यशोदा भी राधा को,
बहुत पसंद किया करते थे।
गोकुल वासीयों को भी,
राधा कृष्ण बहुत भाते थे।
और प्रेमी प्रेमिकाओं को भी,
प्यार इन दोनो का भाता है।।
सभी पाठको के लिए जन्माष्टमी की शुभकामनाएं और बधाई।