जो इंसानों को सिर्फ, 
काम से ही जानते।
उनके नामो से वो,
नहीं रखते है मतलब।
काम से काम तक,
ही रखते है मतलब।
ऐसे इंसानों को,
आप क्या कहेंगे?
जो सिर्फ कामों को,
ही सराहते है।
और अपनी इंसानियत,
व्या तक नही करते।
फिरभी श्रेष्ठ समाज में,
ये ही गिने जाते है।।
कल से कल तक को,
जो न समझे आज को।
अपनी जिंदगी को,
व्यार्थ यू ही कर रहे।
आज में जीने की वजह,
कल में जो देख रहा।
जबकि कल जीवन में,
कभी आता ही नहीं।
फिर क्यों अपने को,
इसमें उलझा रखा।
और आज के सुखको,
क्यों तू भोग नहीं रहा है।
और आने वाले कल के लिए,
अपने आज को खो रहा।
इसलिए संजय कहता है,
आज में जी कर देखो।।

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