दीपावली प्रभु श्रीराम की रावण पर विजय के उपरांत अयोध्या के उत्सव का प्रतीक है, जहां उनके भव्य राजतिलक के अवसर पर अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाकर उनके राजतिलक की स्मृतियों को शाश्वत कर दिया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी आज फिर लगातार तीसरी बार अयोध्या में यह दृश्य पुनः अंकित करके हमें रोमांचित और भावविभोर कर दिया है।
मर्यादापुरुषोत्तम राम का व्यक्तित्व इतना आदर्श, नैतिक और श्रेष्ठ है कि उनके सम्मुख किसी और का व्यक्तित्व खड़ा भी नहीं हो सकता। यह अकारण नहीं कि आज भी रामराज्य की संकल्पना को पाने का प्रयत्न किया जाता है और उनके जैसे शासक बनने की स्पृहा रहती है। यूँ तो अनेक कवियों ने ज्योतिपर्व दीपावली पर अनेक कविताएँ, नज़्म, गज़लें, दोहे, पद आदि रचे हैं किन्तु मेरी दृष्टि में दो कविताएँ ऐसी हैं, जो अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। पहली नीरज जी की ‘जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना’ जो मैंने संभवतः कक्षा 8 में पढ़ी थी और आज भी हर दीपावली पर इसे गुनगुनाता हूँ और दूसरी है नज़ीर बनारसी की नज़्म ‘दीपावली’ जो उन्हीं के शब्दों में ‘मिरी साँसों को गीत और आत्मा को साज़ देती है’। मैंने कुछ दीपावली के फिल्मी गीतों का गुलदस्ता भी आपके लिए सुसज्जित किया है। पेश है यह सब कुछ आपके लिए–
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना / गोपालदास  ‘नीरज’
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।
नई ज्योति के धर नए पंख झिलमिल,
उड़े मर्त्य मिट्टी गगन स्वर्ग छू ले,
लगे रोशनी की झड़ी झूम ऐसी,
निशा की गली में तिमिर राह भूले,
खुले मुक्ति का वह किरण द्वार जगमग,
उषा जा न पाए, निशा आ ना पाए
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।
सृजन है अधूरा अगर विश्व भर में,
कहीं भी किसी द्वार पर है उदासी,
मनुजता नहीं पूर्ण तब तक बनेगी,
कि जब तक लहू के लिए भूमि प्यासी,
चलेगा सदा नाश का खेल यूँ ही,
भले ही दिवाली यहाँ रोज आए
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।
मगर दीप की दीप्ति से सिर्फ जग में,
नहीं मिट सका है धरा का अँधेरा,
उतर क्यों न आयें नखत सब नयन के,
नहीं कर सकेंगे ह्रदय में उजेरा,
कटेंगे तभी यह अँधरे घिरे अब,
स्वयं धर मनुज दीप का रूप आए
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।
दीपावली / नज़ीर बनारसी
मिरी साँसों को गीत और आत्मा को साज़ देती है,
ये दीवाली है सब को जीने का अंदाज़ देती है।
हृदय के द्वार पर रह रह के देता है कोई दस्तक,
बराबर ज़िंदगी आवाज़ पर आवाज़ देती है।
सिमटता है अंधेरा पाँव फैलाती है दीवाली,
हँसाए जाती है रजनी हँसे जाती है दीवाली।
क़तारें देखता हूँ चलते-फिरते माह-पारों की,
घटाएँ आँचलों की और बरखा है सितारों की।
वो काले काले गेसू सुर्ख़ होंठ और फूल से आरिज़,
नगर में हर तरफ़ परियाँ टहलती हैं बहारों की।
निगाहों का मुक़द्दर आ के चमकाती है दीवाली,
पहन कर दीप-माला नाज़ फ़रमाती है दीवाली।
उजाले का ज़माना है उजाले की जवानी है,
ये हँसती जगमगाती रात सब रातों की रानी है।
वही दुनिया है लेकिन हुस्न देखो आज दुनिया का,
है जब तक रात बाक़ी कह नहीं सकते कि फ़ानी है।
वो जीवन आज की रात आ के बरसाती है दीवाली,
पसीना मौत के माथे पे छलकाती है दीवाली।
दीपावली पर आधारित कुछ अमर फ़िल्मी गीत
1 दीपावली मनाई सुहानी । शिरडी के साईं बाबा
2 दीप जलेंगे दीप दीवाली । पैसा
3 आई दीवाली दीप जला जा ।पगड़ी
4 दीवाली में अली राम रमज़ान में ।मालिक एक
5 दीवाली फिर आ गयी सजनी । खजांची
6 एक वो भी दीवाली थी एक ये भी दीवाली है । नज़राना
7 आई अबकी साल दिवाली मुंह पर अपने खून मले। हक़ीक़त
8 आई दिवाली आई कैसे उजाले लाई। खजांची
9 कैसे मनाएँ दिवाली हम लाला अपना तो बारा महीने दिवाला। जॉनी वाकर
10 दीवाली आई दईया रे दईया। लीडर
11 आई दीवाली आई दीवाली। रतन
12 आज है दीवाली । आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया
13 इस रात दिवाली ये कैसी। सबसे बड़ा रुपैया
14 जगमगाती दीवाली की रात आ गयी । स्टेज
15 सरगमवाली तू दीवाली। फरार क़ैदी
16 हैप्पी दीवाली। होम डिलीवरी
17 आई है दीवाली सखी आई सखी आई। शीशमहल
18 जहाँ में आई दीवाली बड़े चराग जले। ताज
19 दीवाली की रात पिया घर आने वाले हैं। अमर कहानी
20 ओ दिवाली के दिए तुझमें जलता है या दिल जले उनके लिये। बिल्वमंगल
21 आई दिवाली दीपों वाली । महाराणा प्रताप
22 दिवाली बम्ब लगदी। दिवाली बम्ब
23 ज्योति कलश छलके। भाभी की चूड़ियाँ
24 दीपक जलाओ ज्योति जगाओ मन में। संगीत सम्राट तानसेन

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