manjur

व्यंग्य : यक्ष इन पुस्तक मेला

दिल्ली का पुस्तक मेला समाप्त हो चुका था ,धर्मराज युधिष्ठिर हस्तिनापुर के अलावा इंद्रप्रस्थ के भी सम्राट थे ।अचानक यक्ष प्रकट हुए ,उन्होंने सोचा कि चलकर देखा जाये कि धर्मराज अभी भी वैसे हैं या बदल गए जैसे कि मेरे… Read More

dil

व्यंग्य : दिले नादान तुझे हुआ क्या है

मैं शाम के वक्त चौराहे पर आंखे सेंकने और तफरीह के लिये निकला था। कि मुझे आंखे सेंकने के पुराने अनुभवी उस्ताद अच्छे लाल जी मिल गए , जो कि अब” अच्छे वाले सर” के नाम से विख्यात हैं। मुझसे… Read More

hand

व्यंग्य : बार्टर सिस्टम

बरसों पहले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने एक नारा दिया था “तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आजादी दूंगा “। अच्छी पहल थी देश में इस नारे को आज भी बहुत इज्जत दी जाती है ।लोग नेता जी के एक… Read More

ab kya hoga

लघुकथा : अब क्या होगा

राजधानी में बरस भर से ज्यादा चला खेती-किसानी के नाम वाला आंदोलन खत्म हुआ तो तंबू-कनात उखड़ने लगे। सड़क खुल गयी तो आस-पास गांव वालों ने चैन की सांस ली। मगर कुछ लोगों की सांस उखड़ने भी लगी थी। नौ… Read More

kabira khada bazaar mein

व्यंग्य : कबीरा खड़ा बाजार में

इधर अकादमी पुरस्कारों की घोषणा हुई उधर सिद्धवाणी का उद्घघोष शुरू हो गया । वैसे सिद्धवाणी जो खुद को कबीरवाणी भी कहती रही है कि खासियत ये है कि इसकी तुलना आप क्रिकेटर -कम -नेता नवजोत सिंह सिद्धू के स्वागत… Read More

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व्यंग्य : “शाह का चमचा”

“बने है शाह का चमचा, फिरे है इतराता वरना आगरे में ग़ालिब की हस्ती क्या है” मशहूर शायर मिर्जा गालिब ने जब ये फरमाया था तब बादशाह की उनपे नूरे नजर थी, लेकिन वक्त ने ऐसी करवट बदली कि मिर्जा… Read More

binod

व्यंग्य : बिनोद बावफ़ा है

“अक्ल को तन्कीद से फुर्सत नहीं इश्क़ पर आमाल की बुनियाद रख” हाल ही में एक फ़िल्म आयी है चमनबहार जिसमें नायक अपनी जीतोड़ मेहनत सी की कमायी गयी अल्प पूंजी पर अपने मन के उदगार लिखते हुए लिखते हुए… Read More

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व्यंग्य : माया महाठगिनी हम जानी

माया के तीन रूप होते हैं ,-कामिनी,कंचन ,कीर्ति ।इसी में एक माया जब दूसरी माया पर आकर्षित हो गयी तब तो गजब होना ही था।यानी एक देवी जी को कीर्ति की यशलिप्सा जाग उठी। इस कीर्ति को पाने का साधन… Read More

व्यंग्य : चीनी कम

कुछ समय पहले टीवी पर एक इश्तहार आता था जिसमें सब झूम झूम कर कहा करते थे कि “जो तेरा है वो मेरा है  जो मेरा है वो तेरा” इस थीम को ध्येय वाक्य बना लिया चीन ने और चौदह… Read More

byang moon and bread

व्यंग्य : चाँद और रोटियां

प्रगतिशीलता के पुरोधा,परम्पराओं को ध्वस्त करने वाले कवि करुण कालखंडी जी देश में मजदूरों के पलायन से बहुत दुखी थे ,उन्होंने लाक डाउन के पहले दिन से बहुत मर्माहत करने वाली तस्वीरें और करुणा से ओत प्रोत कविताएं लिखी थीं… Read More