हिंदी सिनेमा में जब भी देशभक्ति फिल्मों की बात आती है तो भारत कुमार यानि की मनोज कुमार का नाम ही सबके जुबां पर सबसे पहले आता है। 15 अगस्त हो या फिर 26 जनवरी जब तक मनोज कुमार के फिल्मों के गाने हम न सुने तो कुछ अधूरा सा ही लगता है। मतलब मनोज कुमार और हमारे राष्ट्रीय पर्व जैसे एक दूसरे के पूरक ही हो गए हैं। हिंदी सिनेमा में देशभक्ति फिल्मों की छवि बनाने वाले अभिनेता मनोज कुमार अब हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने आज सुबह मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में 87 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक्स’ पर लिखा – ‘महान अभिनेता और फिल्म निर्माता श्री मनोज कुमार जी के निधन से बहुत दुख हुआ। वह भारतीय सिनेमा के प्रतीक थे, जिन्हें विशेष रूप से उनकी देशभक्ति के उत्साह के लिए याद किया जाता था, जो उनकी फिल्मों में भी झलकता था। मनोज जी के कार्यों ने राष्ट्रीय गौरव की भावना को प्रज्वलित किया और यह पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएँ उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति’
ये बात जानना भी बेहद दिलचस्प है कि उनका असली नाम न तो भारत कुमार है और न ही मनोज कुमार। उनका असली नाम तो हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी है। बात ये है कि अपने फिल्मी करियर की शुरुआत से पहले से ही वे अशोक कुमार और दिलीप कुमार से ज्यादा प्रभावित थे। कहा जाता है कि सन 1949 में दिलीप कुमार की फिल्म शबनम के किरदार, मनोज से वे इतने प्रभावित हुए कि अपना नाम ही मनोज कुमार रख लिया। तब से वे मनोज कुमार के नाम से जाने जाने लगे। और भारत कुमार का नाम उन्हें अपने देशभक्ति फिल्मों के कारण मिला। जिसमें अधिकतर में नायक का नाम भारत कुमार ही होता था। शहीद, उपकार, पूरब और पश्चिम, क्रांति, रोटी कपड़ा और मकान, देशवासी जैसी एक से बढ़कर एक बेहतरीन फिल्में इसकी गवाह हैं। जिससे उनकी इमेज देशभक्त अभिनेता वाली हो गई। जिसमें से उपकार फ़िल्म खूब सराही गई और उसे सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ कथा और सर्वश्रेष्ठ संवाद श्रेणी में फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था। फिल्म को द्वितीय सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार तथा सर्वश्रेष्ठ संवाद का बीएफजेए अवार्ड भी दिया गया था। वर्ष 1972 में फिल्म बेईमान के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और वर्ष 1975 में रोटी कपड़ा और मकान के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया था। बाद में वर्ष 1992 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा गया। देश के प्रति प्रेम और राष्ट्रीयता की भावना को बढाने वाले ऐसे महान कलाकार के जैसा अन्य दूसरे अभिनेता एवं फ़िल्मकारों की आज हमें बहुत कमी सी महसूस होती है जिसने विशुद्ध देशभक्ति की भावना से अधिकान्श फिल्में बनाकर हिंदी सिनेमा में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई और जिनके फ़िल्म के गानों-
जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने…
मेरे देश की धरती…
मेरा रंग दे बसंती चोला…
आदि से आज भी 15 अगस्त और 26 जनवरी की शान बढती है…
हालांकि ऐसा नहीं है कि उन्होंने रोमांटिक फिल्में नहीं की। हरियाली और रास्ता, घर बसा के देखो, बेईमान, संन्यासी, शोर, वो कौन थी, गुमनाम, हिमालय की गोद में, पत्थर के सनम, नीलकमल जैसी सुपरहिट फिल्में भी दीं। मगर सिने प्रेमियों की नज़रों में वे देशभक्त अभिनेता के खिताब से ही नवाज़े गए। कारण शायद यह भी हो सकता है कि फिल्म शहीद देखने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने इनसे कहा था कि कोई ऐसी फिल्म बनाए आप जिसमें हमारे देश के नौजवानों और किसानों की महत्ता को दिखलाया जा सके। उस वक्त उन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा भी दिया था। इसके बाद ही मनोज कुमार ने ‘उपकार’ फिल्म बनाई थी। इसके लिए इन्हें नेशनल अवार्ड भी मिला। बाद में आई फिल्म पूरब और पश्चिम ने इनके लोकप्रियता के सारे रिकार्ड तोड़ दिये। इसके बाद से मनोज कुमार हिंदी सिनेमा में एक ब्रांड बन गए। लेखक, निर्माता और निर्देशक के रूप में उन्होंने कई अच्छी फिल्में बनाई। जय हिंद, क्लर्क, क्रांति, कलयुग और रामायण, यादगार, शोर, पूरब और पश्चिम, उपकार आदि हैं। जिनके लिए वो हमेशा ही याद किए जाएंगे।
अभी हाल ही में हमारे देश ने मिशन चंद्रयान 2 का सफल प्रक्षेपण इसरो की मदद से किया। फिल्म पूरब और पश्चिम का गीत ‘भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ’… यहाँ बड़ा प्रासंगिक बन जाता है। जिसकी शुरुआत में अंग्रेज़ो की तारीफ करते प्राण, मनोज कुमार से कहते हैं कि आखिर क्या दिया है तुम्हारे देश ने ? यहाँ तो लोग चांद पर पहुँच गये। इस पर मनोज कुमार का जवाब जितना दिल को छू लेने था उसको उतना ही प्रासंगिक बना दिया है हमारे देश के वैज्ञानिकों ने। ये हमारे देश के लिए बड़े ही गर्व की बात है कि एक के बाद एक अन्तरिक्ष की दुनिया के साथ साथ हर क्षेत्र में सफलता के नए आयाम गढ़ रहा है। जिसकी आधारशिला हम मनोज कुमार की फिल्मों में देखते हैं। जिसमें हम अपने सपनों के भारत की झलक पाते हैं। सही मायनों में इनके फिल्मों से अपने देश पर गर्व करना हमने बखूबी सीखा। आज के दौर में भी वो इतने ही प्रचलित हैं जितने तब थें। ऐसे महान देशभक्त कलाकार को विनम्र श्रद्धांजलि। मनोज कुमार जी की फिल्मों से कुछ सदाबहार गाने आप सभी के लिए, जो मुझे काफी पसंद हैं।
फिल्म | गाने |
उपकार | कसमें वादें प्यार वफा, दीवानों से ये मत पूछो, मेरे देश की धरती |
पूरब और पश्चिम | कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे, भारत का रहने वाला हूँ |
शहीद | ए वतन ए वतन, ओ मेरा रंग दे बसंती चोला, सरफरोशी की तमन्ना |
हरियाली और रास्ता | तेरी याद दिल से भुलाने चला हूँ |
पत्थर के सनम | महबूब मेरे महबूब मेरे, पत्थर के सनम, तौबा ये मतवाली चाल |
क्रांति | चना ज़ोर गरम, अब के बरस, जिंदगी की न टूटे लड़ी |
शोर | एक प्यार का नगमा है, जीवन चलने का नाम, पानी रे पानी तेरा रंग कैसा |
रोटी कपड़ा और मकान | मैं न भूलूँगा, हाय हाय ये मजबूरी, महंगाई मार गई |
हिमालय की गोद में | चाँद सी महबूबा हो मेरी, मैं तो एक ख्वाब हूँ |
नीलकमल | आजा तुझको पुकारे मेरा प्यार, बाबुल की दुआएं लेती जा, रोम रोम में बसनेवाले राम |
वो कौन थी | लग जा गले से फिर ये, जो हमने दास्तां अपनी सुनाई |
गुमनाम | हम काले हैं तो क्या हुआ, गुमनाम है कोई |