बंधन ये रक्षा का बहना मांगे वचन ये भाई से।
साथ निभाना, लाज बचाना, इस दुनिया हरजाई से
माँ बाबा के आँगन पलके थोड़ी सी मैं बड़ी हुई ।
पाया प्यार तुम्हारा जबसे लगती जैसे दुनियां नई।
हाथ तुम्हारा बढ़ा हुआ था मेरा साथ निभाने को।
लगता कम था बचपन भी, प्यार तुम्हारा पाने को।
सूरत सम्भली, आई वो राखी,याद हमेशा आए है।
साथ तुम्हारा बना रहे ये,पल पल भले ही जाए है
बीते योहीं, बरस बरस राखी जब जब भी आए है
कहूँ न कहूँ, जब भी सोचूँ ,मन मेरा भर जाए है।
इक दिन छोड़, ये अंगना, पी घर भी तो जाना है।
दूर भले रहूँ मैं कितना फिर भी प्यार निभाना है।
छोटी हूँ तुमसे तो भी मांगू फिर फिर ये आशीष।
माँ बाबा का खिला रहे मन,हाथ रहे सदा इस शीश।
याद भले मुझको कम करना,उनको रखना जरा सम्भाल।
मैं तो बेटी थी बस उनकी, तुम तो उनके प्यारे लाल ।
आशा तुमसे बहुत करें वो, माने तुमको अपना सब ।
थाम सदा उनको तुम लेना सम्भल न पाये जीवन जब ।
हर राखी पर हो सकता है, आ भी ना पाऊँगी मैं।
तन से भले पहुंच न पाऊँ, मन से तो आउंगी मैं।
आई हूँ इस राखी पर तो लूँगी वचन ही ये तुमसे।
जन्म भले गुजर ही जाए, रिश्ता बना रहे तुमसे।
हाथ ये जोडू उस ईश्वर को इस जग का जो तारणहार।
जब तक तू है बना रहे यूँहीं भाई बहन का प्यारा प्यार।