poem gudiya

कविता : वो मेरी गुड़िया

याद है आज भी बचपन का अफसाना वो बाजार मे सजा गुड़ियों का तराना।। चाहती थी मैं वो आंख मिचती गुड़िया पर पापा की जेब मे न थी पैसे की पुड़िया।। मन मे ख्वाहिश दबा के भी थी मुस्कुराई पापा… Read More

story chaupal

कहानी : चौपाल

मां बाबा आज भी चौपाल पे ही पंचायत का फैसला सुनाने चले गये। मैं बोली भी थी बाबा आज कहीं न जाना मुझे मेला देखने जाना है खीज़ के ये सब एक ही सांस मे सरिता अपनी मां से बोली… Read More