गली-गली में घूमते… शराफ़त का मुखौटा लगाए कभी सहायक बनकर कभी खास बनकर। उठाते मजबूरी का फायदा नौकरी, धन और प्रेम का झांसा देकर। नजरों में कच्चा खा जाने की प्यास मन में हवस का अरमान लिए करते हैं रतिभरा… Read More
गली-गली में घूमते… शराफ़त का मुखौटा लगाए कभी सहायक बनकर कभी खास बनकर। उठाते मजबूरी का फायदा नौकरी, धन और प्रेम का झांसा देकर। नजरों में कच्चा खा जाने की प्यास मन में हवस का अरमान लिए करते हैं रतिभरा… Read More
गांव से दूर एकांत में खड़ा है पेड़ गूलर का इसके हरे हरे पात लेकर आते हैं नई नई सौगात इसकी शाखाओं और तने में खरोंच करने से निकलता है खून की धार की तरह सफेद दूध जिसके सुखाने से… Read More
सुरेश चंद्र कृत नाटक ‘ मन्दिर से अस्पताल ‘ पर हरिराम द्वारा संपादित पुस्तक ‘मन्दिर से अस्पताल : मूल्यांकन के विविध आयाम’ का लोकार्पण समारोह का आयोजन दिनांक 19 अगस्त 2023 को सिजुआर भवन , मंगला गौरी रोड, नारायण चूआ… Read More
श्रम की मूरत, छली गई है अलग अलग के दौर में जब संकट आया भू, पर मलाई उड़ाई किसी और ने छलिया है चालाक बहुत पल में गुस्सा पल में आँसू हँस- हँसकर बातें करता अंदर बाहर में चेहरा लटका… Read More