उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने वाले और सुशासन के प्रतीक माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज उदय प्रताप कॉलेज के 115वें स्थापना दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए कहा कि उदय प्रताप कॉलेज पूरे देश में शिक्षा के क्षेत्र में चमकता हुआ सितारा है। विगत एक शताब्दी से अधिक समय में शिक्षा सहित जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए उदय प्रताप कॉलेज ने जो कार्य किया है उसके प्रति उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरा देश अपनी कृतज्ञता प्रकट करता है। माननीय मुख्यमंत्री जी ने आगे कहा कि इस कॉलेज में विश्वविद्यालय होने की सभी योग्यताएं मौजूद हैं। इसलिए कॉलेज की प्रबंध समिति की ओर से इसे विश्वविद्यालय बनाने प्रतिवेदन प्राप्त होने पर शासन स्तर की सारी अड़चनों को दूर करते हुए इसे विश्वविद्यालय की मान्यता देने में पूरी मदद की जाएगी।
माननीय मुख्यमंत्री जी ने आगे अपने संबोधन में यह भी कहा कि काशी तो प्राचीन काल में ही शिक्षा का केंद्र रही है, लेकिन जब 1909 में राजर्षि उदय प्रताप सिंह जू देव ने उदय प्रताप कॉलेज की स्थापना की तो उनके मन में युवकों को आधुनिक शिक्षा और ज्ञान से सम्पन्न करने की गहरी तड़प थी। इसलिए उनके द्वारा स्थापित इस कालेज ने महामना मदन मोहन मालवीय जी के द्वारा स्थापित काशी हिंदू विश्वविद्यालय की तरह ही शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान दिया है। इसलिए इस कॉलेज को योग्य छात्रों की पहचान कर उन्हें ज्ञान, टेक्नोलॉजी आदि के क्षेत्र में आगे बढ़ाना है, क्योंकि युवाशक्ति की उपेक्षा करके कोई भी राष्ट्र आगे नहीं बढ़ सकता। उन्होंने यह भी कहा कि महात्मा बुद्ध, शंकराचार्य, महाराणा प्रताप, शिवाजी, गुरू गोविंद सिंह, भगतसिंह, चन्द्रशेखर आजाद, राजगुरु, सुखदेव आदि ने देश और धर्म के लिए शहादत अपनी युवावस्था में ही दिया था। विश्व विद्यालय बन जाने के बाद यह संस्था ला कॉलेज खोल सकती है, नए नए पाठ्यक्रमों को संचालित कर सकती है। इससे पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार के छात्रों को भी लाभ मिलेगा।
आज के संस्थापन समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में स्टाम्प, न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन मंत्री श्री रविन्द्र जायसवाल, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी तथा आयुष मंत्री श्री दया शंकर मिश्र ‘दयालु’ उपस्थिति रहे। श्री रवीन्द्र जायसवाल ने अपने संबोधन में कहा कि उदय प्रताप कॉलेज ने अब तक लाखों छात्र-छात्राओं को शिक्षा देकर, खेल के क्षेत्र में अनेक खिलाड़ियों को उत्पन्न कर, बड़ी संख्या में कृषि वैज्ञानिकों को पैदा करके इतिहास रच दिया है। पूरी दुनिया में प्रसिद्ध लालपेड़ा यू.पी. कॉलेज की ही देन है। इसलिए इसे विश्वविद्यालय बनना ही चाहिए और इसे लॉ कॉलेज की मान्यता मिलनी ही चाहिये। समारोह में उदय प्रताप शिक्षा समिति के सचिव न्यायमूर्ति एस.के.सिंह ने कहा कि 19वीं शताब्दी के आरंभ में जब राजर्षि उदय प्रताप सिंह जू देव ने इस कॉलेज की स्थापना किया था उस समय पूरा देश अज्ञान के अंधकार में डूबा हुआ था। शिक्षा के माध्यम से उन्होंने ज्ञान का जो प्रकाश फैलाया इसीलिए उन्हें राजर्षि की उपाधि दी गई। माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी भी शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं, इसलिए ये भी एक राजर्षि हैं। न्यायमूर्ति एस. के. सिंह ने कॉलेज की उपलब्धियों को प्रस्तुत करते हुए भावी विकास की योजनाओं की परिकल्पना भी सामने रखी। आयोजन के आरंभ में कुलगीत उदय प्रताप पब्लिक स्कूल की छात्राओं ने तथा स्वागत गीत रानी मुरार कुमारी बालिका विद्यालय की छात्राओं ने प्रस्तुत किया। आए हुए अतिथियों का स्वागत उदय प्रताप कॉलेज के प्राचार्य प्रो. धर्मेंद्र कुमार सिंह ने किया तथा संचालन प्रो. प्रज्ञा पारमिता सिंह तथा डॉ. ज्ञानप्रभा सिंह ने किया। संस्थापन समारोह का संयोजन प्रो. बनारसी मिश्रा ने किया।
आज इस संस्थापन समारोह में उदय प्रताप शिक्षा समिति के सदस्य प्रो. एस. के. काक, श्री एम.पी.सिंह, श्री राजेश मेहता, श्री आर.पी.एन. सिंह के साथ ही पूर्व शिक्षक विधायक श्री चेतनारायण सिंह, उ.प्र. शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. हरेन्द्र कुमार राय, विधायक सुशील सिंह, विधायक डॉ. अवधेश सिंह, मेयर श्री अशोक तिवारी, विधायक श्री नीलकंठ तिवारी, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती पूनम मौर्या, प्रो. मनोज कुमार सिंह, डॉ. राम सुधार सिंह, डॉ. योगेन्द्र सिंह, डॉ. मूलचंद सिंह, डॉ. अरविंद सिंह, डॉ. विनोद कुमार सिंह, प्रो. अजय कुमार सिंह, डॉ. रमेश प्रताप सिंह, श्रीमती संगीता कुमार, डॉ. अमन गुप्ता, डॉ. ममता, प्रो. एस. के. सिंह, प्रो. नरेंद्र कुमार, प्रो. सुधीर कुमार शाही, प्रो. एन. पी. सिंह, प्रो. सुधीर कुमार राय, प्रो. धर्मेंद्र कुमार सिंह, प्रो. शशिकांत द्विवेदी, प्रो. मनीष सिंह, प्रो. मधु सिंह, प्रो. गरिमा सिंह, प्रो. रमेश धर द्विवेदी, प्रो. संजय कुमार शाही, डॉ. शरद श्रीवास्तव, डॉ. उपेन्द्र कुमार, प्रो. चन्द्र प्रकाश सिंह, प्रो. सुबोध सिंह, मीरा सिंह, प्रो. देवेन्द्र कुमार सिंह, प्रो. तुमुल सिंह, प्रो. अलका रानी गुप्ता, प्रो. गोरख नाथ, प्रो. अंजू सिंह, प्रो. संजीव सिंह, प्रो. अनिता सिंह, प्रो. रश्मि सिंह, प्रो. राघवेन्द्र सिंह रघुवंशी, प्रो. मनोज प्रकाश त्रिपाठी, डॉ. तुषार कांत सिंह, डॉ. संजय श्रीवास्तव, डॉ. मयंक सिंह, संजीव कुमार सिंह, डॉ. अनुराग उपाध्याय, डॉ. आनंद राघव चौबे, डॉ. प्रदीप कुमार सिंह, डॉ. अनूप कुमार सिंह, डॉ. अनिल कुमार सिंह, डॉ. सपना सिंह सहित बड़ी संख्या में पांचों इकाइयों के अध्यापक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।