These 12 movies of Zee 5 must watch

भारत पाकिस्तान का नाम एक साथ आते ही हर हिंदुस्तानी या पाकिस्तानी के कान ही खड़े नहीं होते बल्कि दोनों और के दिलों में एक चिंगारी भड़क उठती है जनाब। लेकिन इन दोनों दुश्मन मुल्कों के बीच बहुत बार ऐसे लोग आए हैं जिन्होंने प्यार, सद्भावना और शांति की पहल करके मिसाल कायम की है। शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए सीमा के दोनों से ऐसे प्रयास होते रहे हैं। दोनों सीमाओं के किनारों से लोगों को प्रेरित करने के प्रयास में भारत और पाकिस्तान के इस बार 12 प्रसिद्ध निर्देशकों ने एक साथ कदम बढ़ाया है। और उन्हें साथ मिला है एक दूसरी माँ यानी सिने-माँ का। यही है जो इन्हें एक साथ ला पाने में कामयाब हुई है।

इन निर्देशकों में भारत कि ओर से
1. अपर्णा सेन
2. बेजॉय नंबियार
3. केतन मेहता
4. निखिल आडवाणी
5. तनुजा चंद्रा
6. तिग्मांशु धुलिया

हैं तो वहीं पाकिस्तान कि ओर से
1. खालिद अहमद
2. मेहरिन जब्बार
3. मीनू-फरजाद
4. सबाहा सुमार
5. शाहबाज सुमार
6. सिराज उल हक

ये सभी मिलकर आपके और हमारे लिए तथा हमारी दृश्य इंद्रियों के लिए एक सुकून भरा इलाज प्रदान करने का काम कर रहे हैं।

ये फिल्में जी टी वी के एप्प ज़ी5 (zee5) पर दिखाई जा रही हैं। उनमें से कुछ फिल्में मैं देख चुका हूँ और कुछ बाकी है। इन फिल्मों को एक श्रृंखला के तहत एक-एक हिस्से के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा।
इसमें पहली फ़िल्म है

1. बारिश और चौऊमीन इस फ़िल्म के फिल्म निर्माता, निर्देशक हैं हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री के प्रसिद्ध डायरेक्टर तिग्मांशु धुलिया फ़िल्म की स्टार कास्ट में मुख्य किरदार अदा किया है तापसी पन्नू और अमिथ साध ने फ़िल्म की कहानी सिराज के चारों ओर घूमती है जो सिर्फ लखनऊ से चला गया है और रहने के लिए जगह खोज रहा है और फिर बाद में वह एक कमरा किराए पर लेता है। दुर्भाग्य से वह मालिक मकान की बेटी के साथ प्यार में पड़ जाता है। जिसका जीवंत उदाहरण प्रकृति में भी हम देखते हैं। वही प्रकृति उसके जीवन में प्यार के अपार रंग लाती है। लेकिन अपनी गुप्त पहचान के रूप में। अब वह इस गुप्त पहचान को गुप्त नहीं रख पाए तो क्या होगा? इसके बारे में जानने के लिए आपको फ़िल्म देखनी होगी।

दूसरी फ़िल्म पाकिस्तान की ओर से है फ़िल्म का नाम है –

2. छोटे शाह और इस फ़िल्म के निर्माता हैं साहिबा सुमार फ़िल्म की स्टार कास्ट में है- अदनान जाफर, नवीन शेहजाद और तारा महमूद। फ़िल्म की कहानी कुछ यूँ है कि –

शाह एक बड़े घराने के आदमी थे। जो करोड़ों- अरबों की जमीन के मालिक थे। जिनके पास बड़े-बड़े और विचित्र तथा आलीशान मकान थे और वह कुलमिलाकर एक बड़ी पार्टी थी। तभी भारत के विभाजन के कारण उन्हें अपनी संपत्ति खोनी पड़ी। इस कारण उनकी पीढ़ियों में उनकी पहुँचऔर रईसी कम हो गई। ऐसा ही एक दुर्भाग्यपूर्ण परिवार मोहम्मद असगर का भी है। जो कर्तव्यपरायणता और ऋण के बोझ से बाध्य है। इसी कारण वह परिवार की बची आखिरी निशानी कोठी को बनाए रखने की कोशिश करता है। असगर विभाजन होने से दुःखी है होता है और यहीं उसके आश्चर्यजनक फैसलों के साथ फ़िल्म समाप्त होती है। अब उसके इन फैसलों के पीछे की क्या कहानी है जानने के लिए फ़िल्म देखिए।

3. इसी कड़ी में तीसरी फ़िल्म है – सारी रात इस फ़िल्म का निर्माण किया है अपर्णा सेन ने और इसके मुख्य किरदार हैं – कोंकणा सेन शर्मा, ऋत्विक चक्रवर्ती और अंजन दत्त । फ़िल्म की कहानी कुछ यूँ है कि एक तूफानी रात में एक जोड़ा फंस जाता है। और उस फंसे हुए जोड़े को खुद को वहाँ से बाहर निकलने में परेशानी महसूस होती है इसलिए वे एक डरावनी गोदाम का सहारा लेते हैं। लेकिन उन्हें वहाँ यह प्रतीत होता है कि यह जगह प्रेतवाधित यानी भूत-प्रेतों से भरी पड़ी है। यह उस जोड़े के आश्चर्य और भय का कारण बनती है। वे वहाँ से बाहर निकलने की कोशिश करते हैं लेकिन मेजबान यानी भूत प्रेत वहाँ से निकलने नहीं देते। उनकी यह यात्रा और रात रहस्योद्घाटन से भरी हुई है। फिर उनके जीवन से रहस्य निकालता है कि वे कभी अपने बारे में या एक-दूसरे के बारे में कभी नहीं जानते थे। इस तरह वे जोड़े खुद को एक अविस्मरणीय रात के सफर में खुद को पाते हैं जो हमेशा के लिए उनके जीवन को बदलता है। इस रहस्यमयी कहानी को आपको अवश्य देखना चाहिए।

4. चौथी फ़िल्म पाकिस्तान की ओर से है फ़िल्म का नाम है – लालूलाल डॉट कॉम यानी laloolal.com इस फिल्म के निर्माता हैं खालिद अहमद फ़िल्म की स्टार कास्ट हैं – फैसल कुरेशी, नताशा पोर्ट्रेस
फ़िल्म की कहानी है – गांव में सबकुछ घड़ी की सुई तरह जब सब ठीक ठाक चल रहा है, तो उसी समय एक सुई नाम की एक युवा अंग्रेजी महिला यानी अंग्रेजन मैम्म गाँव की स्थानीय यूनियन काउंसिल के दफ़्तर में आती है। जहाँ वह अपने लापता पति को खोजने में मदद माँगती है। और एक एक याचिका यानी एफआईआर भी करती है। इसे थोड़ा मुश्किल और अंग्रेजी भाषा का मामला देखते हुए बाकी सभी मुश्किल मामलों की तरह, यह भी गाँव के अध-पढ़े लिखे, थोड़े बहुत अंग्रेजी के ज्ञाता लालूलाल को सौंपा जाता है। यहाँ से यह एक गुमशुदा की यात्रा बन जाती है । फ़िर पति न मिलने पर अंग्रेज मैडम पहले से शादी शुदा अपने लालूलाल से शादी की डिमांड कर देती है। यहीं से फ़िल्म में रोचक दृश्य आते हैं और लालूलाल और उसकी नैतिकता पर सवाल उठाती है। दरअसल यह फ़िल्म आज के सभी तथाकथित मर्दों पर भी सवाल उठाती है।

5. इस कड़ी में पांचवीं फ़िल्म आई है हिंदुस्तान से। फ़िल्म का नाम है- गुड्डू इंजीनियर, फ़िल्म का निर्माण किया है निखिल आडवाणी ने और फ़िल्म की स्टार कास्ट के रूप में है -प्रबुद्ध दीमा, प्रणली घोघारे
फ़िल्म की कहानी दो महान दोस्तों की है। जो पढ़ाई कर रहे हैं। एक इंजीनियरिंग कोर्स में एक लड़की प्रगति से प्यार के पेंच लड़ाने लगता है। प्यार और नफरत के बीच एक साधारण सी कहानी आपको काफी पसंद आ सकती है। वह इसलिए कि गुड्डू इसे ट्विस्ट से बदल देगा। वह भारत और पाकिस्तान दोनों के युवाओं का प्रतीक बन कर फ़िल्म में उभरा है । और जिसके लिए हर दिन गर्मजोशी और घृणा के बीच गुज़रता है। प्यार और नफ़रत की यह एकदम जुदा और नई कहानी युवाओं को खासी पसन्द आ सकती है।

6. इस 12 फिल्मों की सीरीज में छठी फ़िल्म है – खैमे में मत झाँकें । फिल्म के निर्माता, निर्देशक हैं पाकिस्तान के शाहबाज सुमार और फ़िल्म में मुख्य भूमिका अदा की है- हसन अब्बास और सारा हैदर ने ।
फ़िल्म की कहानी कुछ यूँ है कि एक सभ्य, शांत गांव को शेष शहरी सभ्यता से काट दिया जाता है। कारण कि एक सर्कस गलती से वहाँ उतरता है। अंधविश्वास में डूबे लोगों के बीच जब उस सर्कस के लोग कदम रखते हैं तो ग्रामीण लोग रात में आग के चारों ओर बैठ जाते हैं। जो सर्कस के साथ उतरी जादुई परी की कहानियाँ बताते हैं। मिथक और हकीकत के बीच जुड़ी इस महीन सी रेखा के साथ कोई भी ग्रामीणों को सच्चाई बताने के लिए तैयार नहीं होता यहाँ फ़िल्म में एक खुलासा होता है। जिसे देखने के लिए फ़िल्म आपको देखनी होगी।

7. फिल्मों के इसी संस्करण में सातवीं फ़िल्म का नाम है टोबा टेक सिंह और फिल्म निर्माता हैं केतन मेहता फ़िल्म की कास्ट में बॉलीवुड की शान पंकज कपूर के साथ हैं विनय पाठक। फ़िल्म की कहानी पाकिस्तानी लेखक सादत हसन मंटो/ सआदत हसन मंटों द्वारा लिखी गई प्रसिद्ध कहानी टोबा टेक सिंह पर बेस्ड है। कहानी अविभाजित भारत के सबसे पुराने मानसिक रूप से बीमार लोगों की शरण स्थली यानी पागलखाने से निकली है। भारत-पाकिस्तान विभाजन से ठीक पहले इनके विभाजन पर भी चर्चा होती है। लाहौर में स्थित यह पागलखाना उन सभी धर्मों के मरीजों का घर है। जिन्हें आखिरकार उनके अनजान परिवारों ने पीछे छोड़ दिया था। यह विस्थापन की कहानी है और यह उन लोगों के लिए कितना दर्दनाक भरी होगी जो शायद अब इस दुनिया में नहीं है।

8. आठवीं और महत्वपूर्ण फ़िल्म है लाला बेगम । फिल्म के निर्माता हैं महरीन जब्बार और फ़िल्म में मरीना खान, हुमायूं सईद, सोनिया रहमान कुरेशी ने अहम भूमिका निभाई है। फ़िल्म की कहानी में 20 वर्षों का विद्रोह है। जो दो बहनों को आमने-सामने टकराने के लिए मजबूर कर देता है। दो बहनों की भावनात्मक यात्रा के माध्यम से कहानी कही गई है। जो सही पल खोजने की कोशिश कर रही हैं। जहाँ वे एक साथ आ सकें और आपस में वार्तालाप शुरू कर सकें।

9. नवीं फ़िल्म सचमुच में आपके रौंगटे खड़े कर सकती है। फ़िल्म का नाम है सिल्वट और फ़िल्म का निर्माण किया है तनुजा चंद्रा ने। जिसमें मुख्य भूमिका निभाई है कार्तिक तिवारी और मेहर मिस्त्री ने। फ़िल्म नूर का विवाहित जीवन और अपने पति के विदेश से किसी दिन वापस लौट आने वाले अंतहीन इंतजार के लिए कभी भी समाप्त न होने की प्रतीक्षा से ज्यादा कुछ नहीं है। इसी इंतजार में वह एक अनवर नामक दर्जी के साथ प्यार में पड़ जाती है। तभी उसके पति के आने सूचना उसे एक खत से मिलती है। क्या नूर अपने पति के लिए एक सच्ची पत्नी की भूमिका निभा सकेगी है या क्या वह प्रेमी का साथ देगी ? जानने के लिए फ़िल्म देखिए।

10. दसवीं कहानी या कहें फ़िल्म प्रेम मोहब्बत से लबरेज है। इसलिए ही फ़िल्म का नाम है – मोहब्बत की आखरी कहानी। फिल्म के निर्माता हैं – सिराज-उल-हक और फ़िल्म में लीड रोल किया है पाकिस्तान की चर्चित अभिनेत्रि सबा कमर ने और उनके साथ हैं अहसान खान। फिल्म हत्या के पीछे की अंधेरी सच्चाई का खुलासा करती है जो सीमा के दोनों किनारों यानी भारत पाकिस्तानके लिए एक ज्वलन्त समस्या है। यह कहानी रोमियो-जूलियट के चारों ओर घूमती है, जहाँ एक गांव हवेली होती है और वे लोकगीत, प्रेम कथाओं को बचपन से सुनते आ रहे हैं।

11. वीं फ़िल्म का नाम है – दोबारा इस फ़िल्म के निर्माता हैं – बेजॉय नंबियार और फ़िल्म की कास्ट में है- मानव कौल, पार्वती ओमानकुट्टन
फ़िल्म में 22 वर्षीय पार्वती नाम की एक स्वतंत्र तथा उत्साही लड़की है जो अपनी शर्तों पर जीवन जीना पसंद करती है। जब उसे अपने माता-पिता की पसंद के एक आदमी के साथ विवाह के बंधन में बांधने के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा जाता है, तो उसकी जिंदगी 360 डिग्री का एक मोड़ ले लेती है। अपनी शादी की शादी के 20 साल बाद, पार्वती एक कठोर कदम उठाने का साहस करती है। क्या है वह कठोर फ़ैसला जानने के लिए फ़िल्म आपको देखनी होगी।

12 वीं और अंतिम फ़िल्म का नाम है- जीवन हाथी इस फ़िल्म के निर्माता हैं – मीनू गौड़ और फरजाद फ़िल्म में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है नसीरुद्दीन शाह, अदनान जाफर, समिया मुमताज और हिना दिलपज़ीर ने। फ़िल्म मीडिया की दुनिया पर एक व्यंग्य कसती हुई है। और ब्लैक कॉमेडी और इसकी निर्मिति वास्तविकता का आभास कराती है। फ़िल्म का मीडियाई रेटिंग के अलावा किसी भी बात पर बिल्कुल ध्यान नहीं है। विशुद्ध रूप से यह उसी को केंद्र में रखकर बनाई गई है। दैनिक विवाद और सनसनीखेजता पर चलते हुए यह फिल्म एक प्रतीकात्मक कहानी का पालन करती है कि मीडिया कैसे समाज में संघर्ष उत्पन्न करता है और बनाता है।

प्रेम, बदले की भावना, सच्चाई, भूत, आधुनिकता और ऐसे ही कई अन्य रंगों से मिलकर बनी इन फिल्मों में तमाम रंगों का इस्तेमाल किया है। जिन्हें एक बार देखना अवश्य बनता है।

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