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हिंदी मेरी माँ है तो
उर्दू है मेरी खाला।
दोनों ने ही मिलकर
मुझे बचपन से है पाला।
दोनों की रहनुमा ने
लेखक कवि बना डाला।
कैसे मैं भूल जाँऊ
अपनी दोनों मांओ को।
जो कुछ भी मैं बना हूँ
दोनों के ही कारण।।

हिंदी और उर्दू ने
मुझको दिलाई शोहरत हूँ जो शिखर पर
इबाद है सब उनकी।
जब भी मैं गिरा तो
थमा है इन दोनों ने।
फिर से मुझे चलना
इन दोनों ने सिखाया है।
कैसे मैं अपनी माँ और
खाला को भूल जाँऊ।।

कितने कमीने और
खुदगर्ज होते है इंसान।
मतलब के लिए अपने
माँ और खाला को लड़वाते।
और उनकी गर्म हवाओं में
सेंकते है अपनी रोटियां।
पर फिर भी अलग नहीं
कर पाते दोनों बहिनों को।।
हिंदी मेरी माँ है तो
उर्दू है मेरी खाला।
दोनों ने ही मिलकर
मुझे बचपन से है पाला।।

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