भारत में हर त्यौहार हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है और जब दिवाली की बात आती है तो कुछ अलग ही माहौल बन जाता है। क्योंकि दिवाली का त्यौहार भारत देश में सबसे ज्यादा धूम-धाम के साथ मानाया जाता है। दिवाली के त्यौहार को खुशियों का त्यौहार के नाम से बुलाया जाता है। आज बदलते दौर में बहुत कुछ बदला। दिवाली भी बदल गई है। ज्यादा नहीं 10-15 साल पहले की दिवाली और आज में बहुत अंतर आ गया है। अब न वो मिट्टी के घरौंदे हैं, न वो मिट्टी के खिलौने। आज के बच्चों को क्या पता, मोम जमा करने का जुनून क्या होता है। वीडियो गेम और स्मार्टफोन वाले ये बच्चे शायद ये भी नहीं जानते कि जिस दीये को जलाकर दिवाली मनाई जाती थी, वही दीये अगले दिन तराजू के पलड़े बन जाते थे। पीले-नीले-सफेद चीनी की मिठाई का स्वाद नहीं रंग भी मायने रखता था और हां, धूप में पटाखे जलाने का भी अपना मजा था। सोच तो यही थी कि अगर पटाखे धूप में नहीं रखें तो फुस्स हो जाएंगे।
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अंतिम तिथि : 26.10.19
नियम एवं शर्तें :-
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लेख/रचना हेतु प्रारूप : वर्ड फ़ाइल, फॉन्ट : यूनिकोड/मंगल/कोकिला
भाषा : हिंदी, अंग्रेजी, भोजपुरी
शब्द सीमा : कम से कम 500 से 700 शब्द
यादों/विचारों/लेख/रचना से संबंधित चित्र : अच्छी क्वालिटी के साथ JPG फॉर्मेट में, जिसे साथ में प्रकाशित किया जाएगा।
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