याद आती है तेरी मीठी बातें,
याद आती है तेरी शैतानी बातें।
सो जाता हूँ जब भी मैं रात को,
ख़्वाबों में तंग करती है तेरी ही बातें।।
कभी तो तू मुझे दिलासा दें,
अपने दिल में मुझे थोड़ी जगह दें।
जानता हूँ नामुमकिन है तेरे लिए,
पर कभी झूठी तालियाँ तो दें।।
करीब तू मेरे इतना आकर,
क्यों बेचैन करती है पास आकर।
दूर चली जाती हो जब भी तुम,
पागल करती याद अपनी दिलाकर।।
ऐ मेरे सनम इतना जुल्म ना कर,
मेरे मन को तू विभोर ना कर।
अक्स तू अपना सामने लाकर मेरे,
मेरी आँखों को कभी नम ना कर।।
इश्क में क्यों इतना तड़पाता है,
हर पल क्यों आँखें तेरे तिल-तिल मरता हूँ,
क्यों मेरी नींद तू चुरा ले जाता है।।