jivansangini

मैं अब कैसे बतलाऊँ,
अपने बारे में लोगों।
कैसे करूँ गुण गान,
अपने कामों का मैं।
बहुत कुछ सीखने को,
मिला मुझे यहाँ पर।
तभी तो निकाल दिये,
जीवन के 28 वर्ष।।

मिला सब जीवन में
जो भी चाहा था हमने।
करू कैसे मैं इंकार,
मिला नहीं अपनों का प्यार।
जो किये थे पूर्व जन्म में,
कुछ अच्छे कर्म हमने।
तभी तो मिला है मुझको
आप सभी से इतना प्यार।।

अब पुन: शुरू करूँगा,
नई पारी की शुरुआत।
इस पारी में हमें मिलेगा,
जीवनसंगिनी का साथ।
पूरे जीवन करती रही,
वो सभी लोगों का ख्याल।
अब बारी मेरी है लोगों,
रखूँगा उसका मैं ख्याल।।

उम्र के इस पड़ाव पर
नहीं मिलता किसी का साथ।
सभी अपने जीवन को,
जीते है अपने-अपने अनुसार।
सही अर्थों में हमको मिला,
जीने का ये अवसर।
तो क्यों करे शामिल हम, किसी औरों को अब।।

निभाएंगे हम दोनों अब,
जो किये थे वादे एकदूजे से।
सुख-दुःख की हर घड़ी में रहेंगे हम दोनों साथ।
यही संग जीने की,
बहुत बड़ी सच्चाई है।
इसे जितने जल्दी तुम,
समझ लोगे प्यारो।
हकीकत खुद बयां कर देगी,
समय को आने पर।।

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