मौसम का मिजाज अब
कुछ ठंडा सा हो रहा है।
गर्मी से हम सबको अब
निजाद मिल रहा है।
पहली बारिस में भीगने का
मजा कुछ अलग होता है।
गिरती पानी की बुंदो से
दिलमें कमल खिल उठते है।।
गर्मी के कारण वातावरण
चारों तरफ का गरम था।
खाने पीने के पदार्थो का
पकने का यही मौसम था।
तभी तो खाने और पीने को
फलो के राजा व प्रजा मिली थी।
जिससे हमारा शरीर एक दम
तरल सा बना गया है।।
वैसे तो हर मौसम का
अपना अपना महत्व होता है।
बारिस से भूमि गिली होकर
सर्दी में बीज अपने अंदर लेती है।
और ग्राष्मी में सबको पकाकर
हमें खाने पीने के लिए देती है।
जिससे मनुष्य जीवजंतु और
पेड़ पौधों आदि जिंदा रहते है।।