left circle(3)

न मैं मैं हूँ और न तू तू है
बस शरीर में एक रूह है।
जो उसके द्वारा भेजी हुई
एक अजेय आत्मा है।
और उसी के हाथो की
वो कठ पुतली है।
जो उसके इशारो पर
चलकर शरीर बदलती है।।

मत कर अपने रूप
और शरीर पर अभिमान।
जो एक दिन मिट्टी में
तेरा मिल जाना है।
इसलिए हे मानव तू
आत्मा कल्याण की सोच।
जिसके कारण ही तुझे
अगले भव को पाना है।।

दिया सभी को उसने
जीवन जीने का मौका।
अब निर्भर करता है
की तू कैसे जीयेगा।
भेजा उसने सब को
शून्य ज्ञान देकर।
कितना क्या अब तू
पृथ्वी पर अर्जित करेगा।।

नहीं बनाया उसने
कोई जात पात को।
और नहीं बनाया उसने
ऊँचा नीचे का भेद।
ये सब तो हे मानव
तेरे दिमाग की उपज है।
जो अपने ज्ञान से तूने
ये सब कुछ रचा है।।

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