poem kargil vijay diwas

सन् निन्यानवे था
थी वो माह जुलाई
शत्रु से हमारी पुनः
छिड़ी हुई थी लड़ाई

मार रहे थे शत्रुओं को
हमारे वीर महान्
राष्ट्र की रक्षा हेतु
दे रहे थे बलिदान

दिन सोमवार था वो
तिथि छब्बीस जुलाई
कारगिल पर जब
भारत ने जय पाई

नमन उन वीरों को
वो हैं भारत की शान
भारत भूमि के लिए
जो हुए थे बलिदान

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