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मान अभिमान के कारण में,
उजड़ गए न जाने कितने घर।
हँसते खिल खिलाते परिवार,
चढ़ गये इसकी भेंट।
फिर न मान मिला,
न ही सम्मान मिला।
पर आ गया अभिमान,
जिसके कारण रूठ गये परिवार।।

हमें न मान चाहिए,
न सम्मान चाहिए।
बस आपस का,
प्रेम भाव चाहिए।
मतभेद हो सकते है,
फिर भी साथ चाहिए।
क्योंकि अकेला इंसान,
कुछ नहीं कर सकता।
इसलिए आप सभी का,
हमें साथ चाहिए।।

यदि आप सभी आओगें,
एक साथ एक मंच पर।
तो मंच पर चार चाँद,
निश्चित ही लग जायेंगे।
भिन्न भाषाओं और क्षैत्र
जाती, होने के बाद भी।
जब एक साथ मिलेंगे,
तभी हम हिंदुस्तानी कहलायेंगे।।

छोड़ दे जो तू अभिमान तो
तेरी ये काया बदल जायेगी।
मन प्रसन्न और दिल खिला हुआ
होने से नया स्वरूप दिखेगा।
तब तेरी जीवन शैली सच में
तुझसे कुछ नया करवाएगी।
जिसके कारण ही तुझे
समाज में मान सम्मान मिलेगा।।

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