अब तो संभल जा इन्सान
सचेत कर रहा है भगवान
देख ले धरती पे ये अजाब
गुनाहों से तौबा कर इन्सान
डर भी लगता है कोरोना से
अपनी फितरत को तो पहचान
मन में खोट फिर बुरा सोच क्यूं
खुदा के गजब को तो पहचान
दुनियाँ में त्राहि -त्राहि मच रही
तू काला बजारी कर रहा इन्सान
तेरे मन्दिर-मस्जिद पर लगे ताले
अब भी अक्ल नहीं आई इन्सान
अभी भी इन्सान-इन्सान में फर्क
क्या मजदूर-गरीब नहीं हैं इन्सान
कयामत के आसार से नजर आए
फिर भी क्यों नही डरता इन्सान
“नाचीज” भी अब तो घबरा सा गया
दुनियाँ से डरता दुनियाँ का इन्सान