रिया की उम्र अब 18 की हो चुकी थी, जहाँ एक ओर रिया की माँ को उसके ब्याह की चिन्ता सता रही थी वहीं रिया के पिता इस दुविधा मे फंसे हुए थे कि अपनी धर्मपत्नी की चिन्ता को दूर करे या अपनी बेटी की इच्छाओं को पूरा करे जो अभी और आगे पढ़ना चाहती है, और फिर उसकी छोटी बहन प्रिया की चिन्ता भी तो कम नही थी।
रिया ने बारहवी कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद शहर जाकर पढ़ने की इच्छा जताई, परंतु माँ नही मानी, फिर रिया ने हिम्मत करके पिता से बात करना सही समझा। जब रिया ने अपनी इस इच्छा के बारे मे पिता को बताया तो पिता ने रिया के इस फैसले पर पूर्ण सहमती दिखाई और उसका दाखिला शहर के एक नामी कॉलेज मे करवा दिया। रिया बहुत खुश थी और हो भी क्यों ना अखिर उसके सपनो का सफर शुरू जो हो चुका था।
जब रिया के पिता उसका दाखिला करवाके वापस गांव आए तो लोगो ने उनके इस फैसले पर शंका जताई और तरह तरह की बाते करने लगे लेकिन रिया के पिता ने उन सभी को केवल एक ही उत्तर दिया कि “मेरी बिटिया होनहार है”। जब वो घर वापस आए तो रिया की माँ भी उनसे नाराज़ थी, माँ के लाख समझाने के बावजूद भी रिया के पिता का सिर्फ एक ही जवाब था कि “मेरी बिटिया होनहार है”।
रिया को शहर मे दाखिला दिलवाने के बाद उसके पिता बहुत खुश थे, लेकिन कुछ दिनो बाद उनको पता चला कि रिया की माँ को केंसर है, इस बात से वो कुछ परेशान रहने लगे और वहाँ रिया के काॅलेज की फीस और बाकी खर्चे बढ़ते जा रहे थे लेकिन पिता ने रिया को कभी पैसों की कमी महसूस नही होने दी।
जहाँ एक ओर रिया की माँ रोज़ मौत से लड़ रही थी वही रिया शहर की चकाचौंध मे खो गई और फिजूल खर्चे करने लगी।
जब एक दिन रिया के पिता को पता चला कि रिया वार्षिक परीक्षा मे अनुत्तीर्ण रह गई है तो वो नाराज़ नही हुए बल्कि केवल इतना कहा कि “मेरी बिटिया होनहार है”।
एक दिन रिया की माँ की तबीयत कुछ ज़्यादा ही बिगड़ गई और जबतक उनको अस्पताल ले जाया जाता तब तक उन्होंने दम तोड़ दिया, यह बात जब रिया के पिता ने रिया को बताना चाहा तो उनका रिया से संपर्क नही हो पाया और अंतः उन्होंने रिया की माँ का अंतिम संस्कार किया। पत्नी की मृत्यु के बाद रिया के पिता कुछ गुमसुम से रहने लगे और पैसों की तंगी के चलते उनकी छोटी बेटी प्रिया को भी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। प्रिया दिन रात पिता की सेवा मे लगी रहती लेकिन दिन बा दिन पिता की तबियत खराब रहने लगी और उनकी याद्दाश्त भी कमज़ोर होने लगी लेकिन वो हर महीने की पाँच तारीख को रिया को मनी ऑर्डर भेजना कभी नही भूलते। अचानक कुछ दिनो बाद उनकी भी आकस्मिक मृत्यु हो गई। कमाई के सारे रास्ते अब बन्द हो चुके थे, प्रिया अब दूसरो के घर पर काम करके अपना जीवन यापन करने लगी, लगभग दो महीनो तक जब रिया को मनी ऑर्डर नही मिला तो उसने गांव जाने का निश्चय किया। जब रिया गांव पहुंची तो गांव वाले उसे देखके कहने लगे “अब आई हो तुम जब सब कुछ खत्म हो गया”, रिया उनकी बातों को नज़रअंदाज करते हुए अपने घर की तरफ बढ़ने लगी तभी एक बुज़ुर्ग उसकी तरफ नज़रे गढ़ाते हुए बोले “बहुत होनहार निकली बेटी तुम तो, तुम्हारे पिता बहुत भोले इन्सान थे जो तुमसे उम्मीद लगाए बैठे थे”, उनकी इस बात को सुनकर रिया तेज़ी से घर की ओर बढ़ी और जब वो अपने घर पहुंची तो उसने देखा कि उसका घर अब किसी खण्डहर से कम नही था। जब रिया घर के अंदर दाखिल हुई तो उसने देखा कि एक लड़की फटे पुराने कपड़े पहने हुए राख से टूटे फूटे बर्तनो को मांझ रही है, जब रिया उस लड़की के करीब पहुंची तो उस लड़की ने माथे से पसीना पोंछते हुए पूछा “जी आप कौन ?”,रिया ने उसकी आवाज़ सुनते ही उसे पहचान लिया कि यह लड़की कोई और नही बल्कि उसकी छोटी बहन प्रिया है। प्रिया ने जब रिया को पहचाना तो उसने उससे नज़रे फेर ली और जब रिया ने प्रिया से बात करनी चाही तो उसने वहाँ से बाहर जाना वाजिब समझा, लेकिन जब रिया ने माता पिता के विषय मे जानना चाहा तो प्रिया ने बाहर जाते हुए धीरे से बोला कि “आपको कोई कष्ट दिए बिना वो इस दुनिया से जा चुके है”। यह बात सुनकर रिया को गहरा सदमा लगा और वो जहाँ खड़ी थी वही बैठ गई, कुछ समय बाद जब वो घर से बाहर निकली तो उसकी मुलाकात उस बुज़ुर्ग से हुई जिससे वो घर पहुंचने से पहले मिली थी। उस बुज़ुर्ग ने उसे पुरा किस्सा बताया कि कैसे उसके परिवार ने पैसो की तंगी झेली और कैसे उसकी माँ की म्रत्यु हुई लेकिन उसके पिता ने उसे मनी ऑर्डर भेजना बन्द नही किया क्योंकि उनको विश्वास था कि उनकी बिटिया होनहार है। जब रिया ने उस बुज़ुर्ग से उनका परिचय पूछा तो उन्होंने बताया कि वो उस पोस्ट आफिस के पोस्ट मास्टर है जहाँ से रिया के पिता उसे मनी ऑर्डर भेजते थे और अपने जीवन की व्यथा उनके सामने प्रकाशित करते थे।
इस बात को सुनकर रिया ने दोबारा कभी शहर ना जाने का फैसला किया और उसने यह भी निश्चय किया कि वो अपनी बहन प्रिया और बाकी बच्चों को पढ़ाएगी एवं खुद अपनी मेहनत से सफलता प्राप्त करेगी और अंतः अपने पिता की “होनहार बिटिया” बनकर दिखाएगी।