एक थी श्रद्धा
माता-पिता दुलारी
गई भटक
रिश्ता भी धोखा
दिल टूटा श्रद्धा का
केवल पीड़ा
ना वो आजादी
मां-बाप बिन शादी
गत श्रद्धा की
ना प्रेम पला
ना रहा लिव-इन
जग-हसाई
न रहा प्यार
केवल व्यभिचार
श्रद्धा व ताब
दुर्गत श्रद्धा
अनसुनी ,ना होनी
दुष्परिणाम
खून के धब्बे
पॉलिथीन थैलियाँ
पैंतीस टूक
डीप-फ्रीज़र
हाथ-पांव व सिर
मांगते न्याय
दोस्त हैरान
दुनियां परेशान
ये कैसा प्यार ?
माँ-पिता चिंता
मीडिया हाहाकार
दिल डरा सा
होनी करनी
अनहोनी हो गई
घोर अन्याय
कानून-न्याय
जज,वकील,कोर्ट
जघन्य मौत ।
हो फ़ास्ट कोर्ट
या चाहो सी.बी.आई.
नासोची सजा
श्रद्धा सी गत
अनादर प्रेम का
हो ना भविष्य
विधि-विधान
कानून-मजबूत
नारी-सुरक्षा
आंखों सपने
ना भविष्य डराए
आशा ‘अजस्र ‘