बहुत संसार को देखा
और बहुत इसको सुना।
जमाने की हर बातों का
बहुत मंथन भी किया।
मैं अपने बातों को भी
इस जमनो को दे सका।
और लोगों की सोच को
कुछ हद तक बदल सका।।
विधाता ने जमाने को
बनाया था सभी के लिए।
जो सुनने और सुनाने में
बहुत विश्वास रखते है।
वो ही इस जमाने में
बहुत खुश रह पाते है।
और जमाने की खुशीयों में
चार चाँद लगाते है।।
जमाने के लोगों ने
बहुतो रुलाया है।
और अपनी तगात का
लोगों को एहसास कराया है।
परंतु भूल गये शायद
वो उस विधाता को।
जिसने हम सब को
जमाने के लिए बनाया है।।
जमाने के लोगों से मिलकर
बहुत कुछ पाये है।
सभी की खुशियों के लिए